Wednesday, May 28, 2025
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एक झलक: बिरसा मुंडा संग्रहालय एवं स्मृति उद्यान

संघर्षों से तप कर उभरा झारखंड

झारखंड ने १५ नवंबर को अपना २१वां स्थापना दिवस मनाया। 'धरती आबा' (पृथ्वी का पिता) बिरसा मुंडा की जयंती भी इसी दिन मनाई गयी। नरेंद्र मोदी सरकार ने ‘भगवान ‘ बिरसा के जन्मदिवस को 'जनजातीय गौरव दिवस' के रूप में हर साल मनाने का ऐलान किया है और इस सन्दर्भ में भोपाल में एक भव्य आयोजन भी हुआ। इस ख़ास मौके पर झारखंड के समृद्ध इतिहास, स्वतंत्रता संग्राम में यहां के जनजातीय नायकों के योगदान, बिरसा मुंडा व अन्य सेनानिओं के वंशजों और राज्य के निर्माण में कारक बनकर उभरीं महत्वपूर्ण घटनाओं पर प्रकाश डाल रहे हैं सुधीर कुमार मिश्रा

सौर ऊर्जा ने भगाया अंधेरा, झिलमिला उठे आदिवासियों के भविष्य के सपने

दशकों से उपेक्षा का दंश झेल रहे विशेष रूप से ओडिशा में रहने वाले बहुत ही पिछड़े आदिवासी समूह को अपने गांव में उम्मीद की एक किरण नजर आई है। इन्हें अब लगने लगा है कि उनके बच्चों का भविष्य भी अन्य की तरह बेहतर और सुनहरा होगा। [...]

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कभी थी पुलिस उनके पीछे, आज पुलिस बन वे नक्सलियों के पीछे

कभी पुलिस उनका पीछा किया करती थी, आज वे खुद पुलिस की वर्दी में प्रतिबंधित नक्सली संगठनों के खिलाफ अभियानों में सक्रिय रूप से हिस्सा ले रहे हैं। वे शीर्ष नक्सलियों को आत्मसमर्पण कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। विजय सिंह ठाकुर लाए हैं ऐसे ही दो [...]

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आदिवासियों के लिए कर्मा पूजा का क्या है महत्व?

क्या आप जानते हैं कि कर्मा या कर्म वृक्ष (नौक्लिया परविफोलिया) की तीन शाखाएं आंगन की मिट्टी में अथवा गाँव के अखरा और सामुदायिक केंद्र में क्यों लगाई जाती हैं? The Indian Tribal की रिपोर्ट में है इसका विस्तृत जवाब

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मोबाइल रेडियो ने उठाया असुर भाषा को बचाने का बीड़ा

पिछले तीन वर्षों से सबसे प्राचीन और कमजोर जनजातीय समूहों में से एक की लुप्तप्राय असुर भाषा को संरक्षित करने और उसे बढ़ावा देने की अनूठी पहल शुरू की है झारखंड के स्वदेशी मोबाइल रेडियो ने। क्या है यह पहल, बता रहे हैं सुधीर कुमार मिश्रा

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जाउआ उठा के साथ श़ुरू हुआ करम पर्व उत्सव 

झारखंड में करम पूजा का उल्लास नजर आने लगा है। इस वर्ष करम पूजा 14 सितंबर को विधि-विधान के साथ आयोजित की जाएगी। The Indian Tribal की रिपोर्ट

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मुनाफे ने बदला आदिवासी किसानों का मन, खेत-खेत नजर आ रही लेमनग्रास

कपास की खेती में लगातार हो रहे भारी नुकसान को देखते हुए ओडिशा के कोरापुट में आदिवासी लोग धीरे-धीरे अब लेमनग्रास की खेती की तरफ मुड़ रहे हैं। कपास के मुकाबले यह अधिक लाभ दे रही है किसानों के बदलते मिजाज पर निरोज रंजन मिश्र की विस्तृत रिपोर्ट

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सूखते जंगलों को 35 वर्षों से जीवन देने में जुटे आदिवासी

हरियाली खत्म होने के कारण जब हर तरफ उजाड़ सा नजर आने लगा, जंगलों की जान सी निकलने लगी, तो ग्राम सभाओं ने पहल कर 1989-90 में पौधे लगाने शुरू किए। आज लगभग 35 वर्ष हो गए, पौधारोपण अनवरत जारी है। एनजीओ एफईएस के आने से यह अभियान [...]

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सूखे बुंदेलखंड को अपनी विरासत का मोह

मध्य प्रदेश के छतरपुर और दमोह जैसे जिलों में आदिवासी भले पानी की कमी और गरीबी से जूझ रहे हों, लेकिन वे अपने घरों की दीवारों, दरवाजों और खिड़कियों के आसपास के क्षेत्र को भित्तिचित्रों के माध्यम से सुंदर रूप देना नहीं भूलते। उनकी इसी रचनात्मकता पर पेश [...]

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आदिवासी लड़कियों को रहता चांदनी रातों का इंतजार

ओडिशा में एक उत्सव ऐसा होता है, जिसे केवल लड़कियां ही मनाती हैं, लेकिन उसका आनंद सभी उठाते हैं। लोगों को फसल कटाई सीजन के खत्म होने का तो लड़कियों को चांदनी रातों का बेसब्री से रहता है इंतजार। निरोज रंजन मिश्र की खास रिपोर्ट

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झाड़ू से पैसा ‘समेट’ रहीं आदिवासी महिलाएं!

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणपुर में तत्कालीन प्रभागीय वन अधिकारी की ओर से वर्ष 2018 में शुरू की गई एक पहल ने आदिवासी महिलाओं की जिंदगी बदल दी। आज वे अपने दम पर आजीविका कमा रही हैं। कैसे आया यह बदलाव? The Indian Tribal की विस्तृत रिपोर्ट

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दो संथाली निर्देशकों की बाल फिल्मों ने मचाई हलचल

बच्चों पर आधारित उनकी लघु फिल्में न केवल समीक्षकों और सिने प्रेमियों द्वारा सराही गईं, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी इन्होंने कई पुरस्कार बटोरे। इन सथाली फिल्मों के दोनों प्रतिभाशाली निर्देशकों से बात की निरोज रंजन मिश्र ने

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ओडिशा में हर तरफ मटिगन की गूंज

कोंध आदिवासी लोग चैत्र मास के दौरान संगीत और नृत्य के साथ अपने भगवान की पूजा करते हैं। क्या युवा, क्या बुजुर्ग सभी इस उत्सव में उत्साह से भाग लेते हैं। खूब दावतों का दौर चलता है। निरोज रंजन मिश्र इस उत्सव पर विस्तार से प्रकाश डाल [...]

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ज़िंदगी के उतार चढ़ाव से जूझते आदिवासी चित्रकार ने उकेर डाली अपनी अलग कहानी

गरीबी और नाकामियां भी मजदूर परिवार में जन्मे बारीपदा के आदिवासी चित्रकार का हौसला नहीं तोड़ पाईं। कला के प्रति जुनून ने उन्हें रास्ते के कांटों की चुभन को महसूस ही नहीं होने दिया। निरोज रंजन मिश्र बता रहे हैं कैसे यह कलाकार आज अपनी मेहनत के फल [...]

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ऊंची उड़ान भरने को बेताब ‘उड़ान’

बस्तर जिले के कोंडागांव में बड़ी संख्या में आदिवासी महिलाओं ने मिलकर संस्था ‘उड़ान’ बनाई। अपने अस्तित्व के तीन सालों में ही यह संस्था ऊंची उड़ान भरने को बेताब है। महिलाओं के शानदार प्रयासों पर The Indian Tribal  की रिपोर्ट

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कहां खो गई बस्तर की प्रसिद्ध तूमा शिल्प

सूखी लौकी से बने सुंदर लैंप और पानी रखने के मजबूत बर्तन कभी छत्तीसगढ़ की शान हुआ करते थे। सदियों पुरानी यह तूमा शिल्प अब धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है। The Indian Tribal की खास रिपोर्ट

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पारंपरिक पोशाक से क्यों मुंह मोड़ रहीं ये महिलाएं

महाराष्ट्र के आदिवासी समुदाय में बुजुर्ग महिलाएं तो अपनी सदियों पुरानी पोशाक आज भी पहनती हैं, लेकिन नई पीढ़ी की पसंद बदल रही है। इसी सामाजिक बदलाव पर द इंडियन ट्राइबल की रिपोर्ट

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अलसी उत्पादन का हब बना कोरापुट

उच्च पोषण, औषधीय और व्यावसायिक दृष्टि से बहुमूल्य अलसी ओडिशा के हजारों आदिवासी किसानों की आजीविका का सहारा बन गई है। सरकार जिस तरह बाजरा मिशन के तहत बाजरे की खेती को बढ़ावा दे रही है, यदि उसी प्रकार अलसी पर भी ध्यान दे तो यहां के किसानों [...]

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कान्हा टाइगर रिजर्व – ढलानदार छत वाले खूबसूरत घरों में बसी आदिवासी संस्कृति

मध्य प्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व के आसपास दूर तक फैली हरियाली से घिरे कच्ची मिट्टी से बने ढलान वाली छत के दो मंजिले खूबसूरत घर हर किसी का मन मोह लेते हैं। पेश है The Indian Tribal की रिपोर्ट

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आईटीडीए ने बदल दी किसानों की किस्मत

ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के दूरदराज गांवों के किसान सरकारी योजनाओं के जरिए न केवल बेहतर फसलें ले रहे हैं, बल्कि उनसे मोटा मुनाफा कमाकर आर्थिक रूप से भी मजबूत हो रहे हैं। बता रहे हैं निरोज रंजन मिश्रा

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कपड़ों में रंगों को लेकर इतने संवेदनशील क्यों त्रिपुरा के लोग

त्रिपुरा की सभी जनजातियों की पोशाक अनूठी होती है, जहां कपड़े ही नहीं, रंग का भी बहुत महत्व होता है। त्रिपुरी महिलाओं को क्या-क्या पहनना पसंद है, उनसे बातचीत के आधार पर यहां बता रही हैं प्रोयशी बरुआ

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कचरे से भी सजावट, क्या हुनर है!

कपास के कचरे से, जी हां कपास के कचरे से सजावटी और दैनिक उपयोग में काम में आने वाली वस्तुएं बनती हैं। कचरा भी सिमटता है और आमदनी भी होती है। ओडिशा भर में सौ से अधिक आदिवासी महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के साथ मिलकर संदेश देती हैं [...]

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प्रकृति और हिंदू पुराण से असमिया संस्कृति का गहरा जुड़ाव

असम के आदिवासी समुदायों की लोक विरासत पर प्रकृति एवं हिंदू पौराणिक कथाओं का बड़ा गहरा प्रभाव है। यह कहने में कोई आपत्ति नहीं कि यह उत्तर-पूर्वी राज्य लोक परम्पराओं का स्वर्ग है। इस लोक विरासत पर विस्तार से प्रकाश डाल रही हैं प्रोयशी बरुआ

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सुरक्षित महावारी के लिए अनूठा मिशन

मासिक धर्म के दौरान ग्रामीण महिलाओं को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से 26 वर्षीय कोंध युवक अपनी पंचायत में सैनिटरी पैड के उपयोग का महत्व समझाने के मिशन पर निकला है। निरोज रंजन मिश्रा बता रहे हैं उसकी कहानी

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दवाओं के लिए आदिवासियों ने दिखाई वैज्ञानिकों को राह

ओडिशा में आदिवासियों की रसोई में पाए जाने वाले पांच किस्म के जंगली फूल पोषक तत्वों एवं औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। इन फूलों की खाने के साथ-साथ औषधीय उपयोगिता के बारे में विस्तार से बता रहे हैं निरोज रंजन मिश्र

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नक्सली गढ़ से पर्यटन हब तक, बदलाव की ओर बस्तर

एक समय था जब छत्तीसगढ़ का बस्तर जिला नक्सली गढ़ के रूप में कुख्यात था, लेकिन अपनी प्राकृतिक सुंदरता और अनूठी आदिवासी जीवनशैली के लिए अब पर्यटकों के बीच लोकप्रिय हो रहा है। The Indian Tribal की रिपोर्ट

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अनूठा स्कूल लगा रहा आदिवासी बच्चों के सपनों को पंख

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले के सुरम्य चंदेनार गांव में स्थित स्कूल गोंड और हल्बी जातियों के बच्चों को वैकल्पिक शिक्षा का सबसे सुलभ और बेहतरीन माध्यम है। विस्तृत जानकारी लाई हैं दीपान्विता गीता नियोगी

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मणिपुर में जातीय संघर्ष को नजरअंदाज करना हुआ खतरनाक

भारत के सबसे उग्रवाद प्रभावित प्रदेश मणिपुर में जातीय दुराव या संघर्ष को कम करके आंकने का ही परिणाम है कि वहां महीनों से हिंसा काबू में नहीं आ रही है। लगभग 15 संगठन जनजाति और समुदाय के आधार पर आपस में खूनखराबा करते रहे हैं। मृत्तिका जैन [...]

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इंद्रावती टाइगर रिजर्व के जनजातीय हीरो

पिछले एक साल से छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में स्थित इंद्रावती टाइगर रिजर्व में गश्ती गार्ड के रूप में कार्यरत स्थानीय आदिवासी युवाओं ने दीपान्विता गीता नियोगी को बताया कि वे कैसे काम करते हैं और उनके सामने इस दौरान क्या-क्या चुनौतियां पेश आती हैं।

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राजस्थानी जनजातीय कला मांडना पर शहरीकरण की छाया

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इस रेगिस्तानी राज्य के कच्चे घरों के धीरे-धीरे पक्के मकानों में तब्दील होने के कारण मांडना कला अब विलुप्त होती जा रही है, बता रही हैं दीपन्विता गीता नियोगी

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बाल विवाह के खिलाफ जुनूनी महिला ने खड़ा कर दिया आंदोलन

ओडिशा के नबरंगपुर जिले के आदिवासी क्षेत्रों में बाल विवाह के खिलाफ एक 29 वर्षीय महिला ने मोर्चा संभाला हुआ है। जहां से भी बाल विवाह की खबर मिलती है, वह वहां पहुंच कर उसे रुकवा देती हैं। उसके इस मुहिम और उसकी चुनौतियों के बारे बता [...]

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असम की आदिवासी महिलाओं ने पानी पर खींच दी सशक्तिकरण की लकीर

उत्साही और जिम्मेदार महिलाओं के इस समूह ने अपने गांव के प्रत्येक घर में स्वच्छ जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने का अभियान चलाया और कामयाबी पाई। यह सब कैसे किया, बता रही हैं प्रोयशी बरुआ

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भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की पहली लड़ाई थी आदिवासियों की हूल क्रांति

झारखण्ड में जून 30 हूल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन 1855 में चार संथाल भाइयों और दो बहनों ने अंग्रेजी साम्राज्य की दमनकारी नीतियों के खिलाफ सशस्त्र विदोह का बिगुल फूँका था और पारम्परिक हथियारों से लैस हज़ारों आदिवासियों का नेतृत्व किया था। पर [...]

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इस थिएटर ग्रुप ने देश में बजाया आदिवासी नाटकों का डंका

बिल्कुल स्वदेशी शैली में प्रस्तुति देने वाले मैदी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ ट्राइबल्स (एमएएटी) ग्रुप की लोकप्रियता कैसे झारखंड से लेकर दिल्ली, केरल, ओडिशा और असम समेत दूसरे राज्यों तक फैल रही है, निरोज रंजन मिश्रा से विस्तृत बातचीत में स्वयं बता रहे हैं ग्रुप के निर्देशक और लेखक [...]

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दुर्गम क्षेत्रों में जीवन डोर बनी बाइक और वैन एम्बुलेंस

ओडिशा के कंधमाल जिले में 650 से अधिक गांवों में गर्भवती महिलाओं और उनके परिवारों विशेषकर आदिवासियों के लिए अनोखी बाइक एम्बुलेंस और डिलीवरी वैन सेवा वरदान साबित हो रही है। कैसे, बता रहे हैं निरोज रंजन मिश्रा

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झारखंड में सबसे पहले किसने देखे भगवान हनुमान?

देश के इस हिस्से में आदिवासी और गैर-आदिवासी दोनों ही समुदायों के लोगों का मानना है कि भगवान हनुमान का जन्म झारखंड के गुमला जिले के अंजन गांव में हुआ था। भगवान राम के इस कट्टर भक्त से जुड़ी मान्यताओं के पीछे की कहानियां बयां कर रहे हैं [...]

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क्या है सरना और क्यों तेज हुई इसे धर्म बनाने की मांग?

आदिवासी समुदाय ने सरना को अलग धर्म के रूप में मान्यता देने की मांग तेज कर दी है। क्या है पूरा मामला, बहुत ही आसान शब्दों में समझा रहे हैं सुधीर कुमार मिश्रा

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क्या वाकई इस पहाड़ पर चढऩे से 10 साल बढ़ जाती है जवानी और उम्र?

इस 500 फीट ऊंची पहाड़ी से जुड़ी यही लोकप्रिय मान्यता हर साल सर्दियों के दौरान आदिवासियों को यहां खींच लाती है। क्या जवान क्या बूढ़े सभी का यहाँ लग जाता है जमघट, बता रहे हैं सुधीर कुमार मिश्रा

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यहाँ आदिवासी समुदाय के खूबसूरत चांदी के आभूषण लुप्त हो रहे हैं

पुराने जमाने से जम्मू-कश्मीर की घुमंतू आदिवासी महिलाओं की शान रहे चांदी के आभूषण और उनके डिजाइन के महत्व, मान्यता और धीरे-धीरे विलुप्त होने के कारणों की पड़ताल करती THE INDIAN TRIBAL की विशेष रिपोर्ट

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सरहुल पर हुई भविष्यवाणी, आई खुशखबरी

प्रकृति पर्व की प्रमुख रीतियों में से एक होती है पहान (पुजारी) की मौसम की भविष्यवाणी और इस बार यह खुशियों की सौगात लेकर आई है। पहान की भविष्यवाणी के मुताबिक इस बार अच्छी वर्षा और फसल होगी। खेत-खलिहानों में फसल लहलहाएगी, किसानों के घर अन्न से भरेंगे, [...]

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प्रकृति पर्व सरहुल पर अलग सरना धर्म कोड की माँग बुलंद करेगा आदिवासी समुदाय

सरहुल की शोभायात्रा हर वर्ष कुछ न कुछ सामाजिक संदेश देने के साथ आदिवासियों के हितों से जुड़े मुद्दों को दर्शाती है। झारखंड का आदिवासी समुदाय इस बार इस तीन दिवसीय महोत्सव के जुलूस में सरना धर्म कोड को प्रमुखता से दर्शाने की तैयारी में है। 'सरना धर्म [...]

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क्या कभी लुगुबुरु घंटाबाड़ी गए हैं आप?

आदिवासी-बहुल राज्य झारखंड में यह संथालों का सदियों पुराना ऐसा पवित्र तीर्थ स्थल है, जो अब न केवल श्रद्धालुओं, बल्कि देश-विदेश के पर्यटकों को भी खूब लुभा रहा है। आखिर क्यों लोग यहां खिंचे चले आते हैं, बता रहे हैं सुधीर कुमार मिश्रा

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होली पर झारखंड में गाये जाते थे फगुआ के 21 राग, अब 6 राग ही रह गए शेष

शहरीकरण के इस दौर में फाग गानेवाले कम होते जा रहे हैं। हालांकि, राज्य के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के माध्यम से इसे बचाने के कुछ प्रयास किये जा रहे हैं।

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बहुत भिन्न है आदिवासी कला-दर्शन और कलात्मक अभिव्यंजना

आदिवासी और लोक चित्रकारों की राष्ट्रीय शिविर विरले ही आयोजित होते हैं। पर झारखण्ड में दूसरी बार ऐसा आयोजन हुआ। इसका जायजा लिया सुधीर कुमार मिश्रा ने और बता रहे हैं कैसे कला की पाश्चात्य, अकादमिक और सैद्धान्तिक अवधारणाओं से भिन्न है आदिवासी कला-दर्शन

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दिल के अरमान बाढ़ में ही बह गए

करीब सात लाख जनसंख्या वाले असम के धेमाजी जिले के जनजाति-बहुल समुदाय के लोगों की निजी ज़िंदगी न सिर्फ मुश्किलों भरी हैं बल्कि असामान्य भी है। बता रहीं हैं वहां का दौरा कर सीटू तिवारी

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हुनरमंद हाथों का कमाल है इनके कपड़े और आभूषण

अरुणाचल प्रदेश जैसे सुरम्य राज्य के जनजातियों के लोग अपने पहनावे को लेकर बहुत सचेत होते हैं। इनके कपड़े बहुत ही सुंदर डिज़ाइन और अनूठी सामग्री से बने होते हैं, जो बरबस ही ध्यान खींचते हैं। कैसे बनते हैं ये और कौन बनाता है इन्हें, बता रही हैं [...]

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बस्तर आदिवासियों की अपनी अलग दिवाली

चूँकि भारत विविधताओं भरा विशाल देश है, ज़ाहिर है यहाँ पर राष्ट्रीय तौर पर मनाये जाने वाले त्योहारों को भी मनाने के तरीके और रीति रिवाज़ भिन्न होंगे। आईये जानते हैं कैसे बस्तर के आदिवासियों का दियारी तिहार सामान्य दिवाली से अलग है

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गरीबी के खिलाफ कैसे लड़ीं और जीतीं आदिवासी महिलाएं

ओडिशा के आदिवासी गांवों में महिलाएं अब आर्थिक मदद के लिए किसी का मुंह नहीं ताकतीं। वे व्यवस्थित तरीके से गरीबी और प्राकृतिक आपदाओं व साहूकारी से लड़ रही हैं, बता रहे हैं नीरोज रंजन मिश्रा

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ओडिशा के आदिवासी थिएटर कलाकारों का उभरना और फिर गर्दिश में खो जाना

सैकड़ों आदिवासी कलाकारों को थिएटर ने पहचान दिलाई, लेकिन किसी ने रोजी-रोटी के संकट तो किसी ने अन्य कारणों से अपना रास्ता ही बदल लिया। कला और संस्कृति को बढ़ावा देने वाला एक गैर सरकारी संगठन अब उन्हें ढूंढ-ढूंढ कर निखारने की कोशिशों में जुटा है। बता रहे [...]

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यहां बेटी का अपहरण होते देख खुश होते हैं पिता

साओरा आदिवासी समुदाय में विवाह बड़े मनोरंजक नाटकीय अंदाज में होते हैं। यहां दुल्हन का अपहरण तो किया ही जाता है, उसके नखरे भी सहने पड़ते हैं। इनकी परंपराओं के बारे में विस्तार से बता रहे हैं नीरोज रंजन मिश्रा

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और यूं बोल उठती हैं पेड़ों की सूखी जड़ें

आदिवासी जनजातियां प्रकृति और जंगलों से बहुत मजबूती के साथ जुड़ी हुई हैं, जो बदले में उनका पालन-पोषण करती है। डोंगरिया कोंध का एक समूह लकड़ी की कशीदाकारी के बारे में निरोज रंजन मिश्रा को विस्तार से बताता है कि यह कला क्या है:

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छत्तीसगढ़ : प्रकृति से है दिली रिश्ता

प्रकृति ही भगवान है। अन्य स्थानों की तरह छत्तीसगढ़ के आदिवासियों का भी यह सदियों पुराना दृढ़ विश्वास है। अभिजात शुक्ला बता रहे हैं कि इस राज्य में यह मान्यता क्यों भिन्न है

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In Numbers

672
Sub-Districts each have a Scheduled Tribes population of more than 10,000

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झारखंड में बनेगा जनजातीय विश्वविद्यालय 

विगत कई वर्षो से क्षेत्रीय-जनजातीय भाषा विज्ञान व जनजातीय विषयों पर शोध कार्य करने वाले विशेषज्ञों, जानकारों, शिक्षाविद के द्वारा झारखंड में जनजातीय विश्वविद्यालय खोलने की मांग की जा रही थी। The Indian Tribal की रिपोर्ट 

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