Wednesday, May 1, 2024
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ओडिशा में हर तरफ मटिगन की गूंज

कोंध आदिवासी लोग चैत्र मास के दौरान संगीत और नृत्य के साथ अपने भगवान की पूजा करते हैं। क्या युवा, क्या बुजुर्ग सभी इस उत्सव में उत्साह से भाग लेते हैं। खूब दावतों का दौर चलता है। निरोज रंजन मिश्र इस उत्सव पर विस्तार से प्रकाश डाल [...]

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आदिवासी दंत चिकित्सक को जुनून अपनी संस्कृति और पारंपरिक जायकों के संरक्षण का

अपने पायलट पति अभिषेक के साथ मिलकर राज्य की राजधानी रांची से लगभग 64 किलोमीटर दूर खूंटी में ‘द ओपन फील्ड’ फार्म-टू-टेबल रेस्टोरेंट चला रही इस बहुमुखी प्रतिभा की कहानी लेकर आए हैं सुधीर कुमार मिश्र

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ऊंची उड़ान भरने को बेताब ‘उड़ान’

बस्तर जिले के कोंडागांव में बड़ी संख्या में आदिवासी महिलाओं ने मिलकर संस्था ‘उड़ान’ बनाई। अपने अस्तित्व के तीन सालों में ही यह संस्था ऊंची उड़ान भरने को बेताब है। महिलाओं के शानदार प्रयासों पर The Indian Tribal  की रिपोर्ट

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कहां खो गई बस्तर की प्रसिद्ध तूमा शिल्प

सूखी लौकी से बने सुंदर लैंप और पानी रखने के मजबूत बर्तन कभी छत्तीसगढ़ की शान हुआ करते थे। सदियों पुरानी यह तूमा शिल्प अब धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है। The Indian Tribal की खास रिपोर्ट

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कान्हा टाइगर रिजर्व – ढलानदार छत वाले खूबसूरत घरों में बसी आदिवासी संस्कृति

मध्य प्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व के आसपास दूर तक फैली हरियाली से घिरे कच्ची मिट्टी से बने ढलान वाली छत के दो मंजिले खूबसूरत घर हर किसी का मन मोह लेते हैं। पेश है The Indian Tribal की रिपोर्ट

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आईटीडीए ने बदल दी किसानों की किस्मत

ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के दूरदराज गांवों के किसान सरकारी योजनाओं के जरिए न केवल बेहतर फसलें ले रहे हैं, बल्कि उनसे मोटा मुनाफा कमाकर आर्थिक रूप से भी मजबूत हो रहे हैं। बता रहे हैं निरोज रंजन मिश्रा

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आदिवासियों की ‘हॉकी’ को बचाने की जद्दोजहद

जनजातीय समुदाय के लोगों के मनोरंजन का बेहतरीन साधन सदियों पुराना पारंपरिक खेल फोड़ी अब विलुप्त होता जा रहा है। झारखंड में स्थानीय ग्रामीणों के साथ मिलकर कुछ सामाजिक संगठन इस खेल को बचाने के प्रयास में जुटे हैं। सुधीर कुमार मिश्रा की रिपोर्ट

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कपड़ों में रंगों को लेकर इतने संवेदनशील क्यों त्रिपुरा के लोग

त्रिपुरा की सभी जनजातियों की पोशाक अनूठी होती है, जहां कपड़े ही नहीं, रंग का भी बहुत महत्व होता है। त्रिपुरी महिलाओं को क्या-क्या पहनना पसंद है, उनसे बातचीत के आधार पर यहां बता रही हैं प्रोयशी बरुआ

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कचरे से भी सजावट, क्या हुनर है!

कपास के कचरे से, जी हां कपास के कचरे से सजावटी और दैनिक उपयोग में काम में आने वाली वस्तुएं बनती हैं। कचरा भी सिमटता है और आमदनी भी होती है। ओडिशा भर में सौ से अधिक आदिवासी महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के साथ मिलकर संदेश देती हैं [...]

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झारखंड में आदिवासियों-दलितों को वृद्धावस्था पेंशन अब 50 साल से ही: हेमंत सोरेन

मुख्यमंत्री ने कहा ऐसा इसलिए किया जायेगा क्यूँकि उनमें मृत्यु दर अधिक है और उन्हें 60 साल के बाद नौकरी नहीं मिलती है। The Indian Tribal की रिपोर्ट

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Individual ethnic groups are notified as Scheduled Tribes as per Census 2011
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