Friday, July 25, 2025
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जीवन जीने का तरीका बदल रही आदिवासी योगिनी

वह वनस्पतिशास्त्री बनने का सपना देखा करती थी, लेकिन योग से प्यार हो गया। फिर क्या था, ऐसी तल्लीनता से योग को अपनाया कि विश्व रिकॉर्ड धारक बन गई। राष्ट्रीय स्तर पर भी कई पुरस्कार अपने नाम किए। इस गोंड लडक़ी के संघर्ष एवं उपलब्धियों का वर्णन कर [...]

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नक्सली गढ़ से पर्यटन हब तक, बदलाव की ओर बस्तर

एक समय था जब छत्तीसगढ़ का बस्तर जिला नक्सली गढ़ के रूप में कुख्यात था, लेकिन अपनी प्राकृतिक सुंदरता और अनूठी आदिवासी जीवनशैली के लिए अब पर्यटकों के बीच लोकप्रिय हो रहा है। The Indian Tribal की रिपोर्ट

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प्रकृति के साथ मीठे सुर छेड़ते ये घुमंतू आदिवासी

जम्मू और कश्मीर की पहाड़ी ढलानों पर घूमते चरवाहों के एकांत का साथी होता है संगीत। THE INDIAN TRIBAL इन आदिवासी खानाबदोश लोगों के कुछ विशेष संगीत यंत्रों के बारे में लाया है जानकारी

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आदिवासियों का पसंदीदा पेय सल्फी पिया क्या?

महुआ छत्तीसगढ़ का पवित्र वृक्ष माना जाता है और इसकी शराब आदिवासी बहुल बस्तर की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, लेकिन इसी प्रकार का एक और पेय सल्फी भी आदिवासी लोगों में खूब लोकप्रिय है। इस पेय के बारे में अधिक जानकारी लेकर आये हैं The Indian Tribal

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अपने दम पर फहराया मिज़ो आर्ट का झंडा

किसी भी कलाकार को पारंपरिक कला की शब्दावली और उसके असंख्य रूपों की समझ होना बहुत जरूरी है। ऐसे ही गुणों से संपन्न, पुरस्कार विजेता और मिज़ोरम में आर्ट गैलरी चलाने वाली एकमात्र महिला कलाकार के बारे में बता रही हैं प्रोयशी बरुआ

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मिठाई ही नहीं, सांप-बिच्छू के काटे की दवा भी

साधारण सी कंद से अनूठी स्वादिष्ट मिठाई तो बनती ही है, आदिवासी लोग इसका उपयोग सांप, गिलहरी या चूहे के काटने पर दवा के रूप में भी करते हैं। निरोज रंजन मिश्र बता रहे हैं इस कंदमूल के बारे में

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इंद्रावती टाइगर रिजर्व के जनजातीय हीरो

पिछले एक साल से छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में स्थित इंद्रावती टाइगर रिजर्व में गश्ती गार्ड के रूप में कार्यरत स्थानीय आदिवासी युवाओं ने दीपान्विता गीता नियोगी को बताया कि वे कैसे काम करते हैं और उनके सामने इस दौरान क्या-क्या चुनौतियां पेश आती हैं।

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आदिवासी कार्टूनिस्ट ने बनाई अपनी विशेष पहचान

एक बढ़ई परिवार से आने वाले इस भूमिजा आदिवासी ने न केवल एक कार्टूनिस्ट के रूप में अपनी पहचान बनाई बल्कि ओडिशा कार्टूनिस्ट अकादमी स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। निरोज रंजन मिश्रा लाए हैं ओडिशा के एकमात्र आदिवासी कार्टूनिस्ट की कहानी

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बाल विवाह के खिलाफ जुनूनी महिला ने खड़ा कर दिया आंदोलन

ओडिशा के नबरंगपुर जिले के आदिवासी क्षेत्रों में बाल विवाह के खिलाफ एक 29 वर्षीय महिला ने मोर्चा संभाला हुआ है। जहां से भी बाल विवाह की खबर मिलती है, वह वहां पहुंच कर उसे रुकवा देती हैं। उसके इस मुहिम और उसकी चुनौतियों के बारे बता [...]

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तारेंगा जैसे लोग हों, तो क्यों न भागे भय का भूत

कौन हैं कोंध आदिवासी तारेंगा मांझी, जिन्होंने ओडिशा में चार साल की कड़ी मेहनत से हर बाधा को पार करते हुए अपने समुदाय के लोगों को टीकाकरण के लिए राजी किया? इनकी कहानी लेकर आए हैं नीरोज रंजन मिश्रा

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In Numbers

705
Individual ethnic groups are notified as Scheduled Tribes as per Census 2011
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