Friday, November 22, 2024
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देशभर के जनजातीय समाज के नायकों की गौरवशाली कहानियां

द इंडियन ट्राइबल देशभर से जनजातीय समाज के ऐसे नायकों की कहानियां सामने लाता है, जिनके नाम और उनके द्वारा किए गए योगदान की कहीं चर्चा नहीं होती, लेकिन वे प्रचार/पब्लिसिटी से दूर रहकर चुपचाप अपना काम कर रहे हैं एवं एक से बढक़र एक उपलब्धि हासिल करते जा रहे हैं।

गांवों में लचर स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर चिंतित है कोई

जम्मू और कश्मीर के दूरदराज के गांवों में प्राय: न्यूनतम स्वास्थ्य सेवाएं भी बहुत मुश्किल से मिल पाती हैं। मोहित कंधारी ने एक ऐसे डीडीसी सदस्य से बातचीत की, जो ग्रामीणों की इस परेशानी को समझती हैं

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अदाकारा वर्षा ने साबित किया, आदिवासी किसी से कम नहीं

झारवुड से लेकर बॉलीवुड तक अदाकारा वर्षा रितु ने बहुत ख्याति हासिल की है और अपने राज्य को गौरवान्वित किया है। सुधीर कुमार मिश्रा बता रहे हैं उनकी कहानी

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होरो महिलाओं में जला रहीं आत्मनिर्भरता की ज्वाला

सुधीर कुमार मिश्रा ने जाना कैसे मगदली होरो ने पूरे झारखंड में सैकड़ों महिलाओं के भीतर उद्यमशील बनने की ज्योत जलाई और अपनी तरह आत्मनिर्भर बनने तथा समाज की बेहतरी में कुछ योगदान देने के लिए प्रेरित किया

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खेतों में लहलहाने लगे हसरतों के बाग

सुधीर कुमार मिश्रा डाल्टनगंज की यात्रा कर हसरत बानो से मिले, जिन्होंने अपनी कोशिशों से गांव में जैविक खेती का प्रसार किया, उसे लोकप्रिय बनाया और किसानों को स्थायी व्यवसाय का विकल्प चुनने में मदद की

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नीलम की चली तो लगेंगे पर्यटन को पंख

कठुआ की स्थानीय नेता नीलम देवी अच्छी तरह जानती हैं कि यदि सुविधाएं मिलें तो सुरम्य परिवेश और अधिक पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर सकता है। वह मोहित कंधारी को अपनी योजनाओं के बारे में विस्तार से बता रही हैं।

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पुंछ के पथरीले रास्तों से प्रोफेसर बनने तक

सीखने की ललक लेकर एक छोटी सी आदिवासी लडक़ी घर से निकली और लंबा सफर तय कर आज मंजिल पर पहुंच गई। मोहित कंधारी सुना रहे हैं संघर्ष की कहानी:

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लगन से चखा सफलता का मीठा स्वाद

तनीषा फनबुह ने न केवल अपनी बेकरी स्थापित की है, बल्कि बड़ी संख्या में महिलाओं को रोज़गार भी दिया है। इससे उन महिलाओं को आमदनी होने लगी है। प्रोयाशी बरुआ ने जानी उनसे उनकी यात्रा।

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युमन ने कर दिखाया – कचरा नहीं है ये कचरा

मणिपुर की कृषि कार्यों से जुड़ी उद्यमी जी युमन ने प्रोयाशी बरुआ को बताया कि कैसे बचपन से ही प्रकृति से गहरे लगाव ने उन्हें रसोई के कचरे से विशेष प्रकार की खाद बनाने के लिए प्रेरित किया।

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पक्षाघात के बावजूद बनी दूसरों का सहारा

प्रोयशी बरुआ बता रही हैं कैसे असम की शिखा देवी चाय बागान की श्रमिकों को मासिक धर्म के दौरान सेहत और साफ-सफाई के बारे में जागरूक करने की मुहिम चला रही हैं।

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In Numbers

705
Individual ethnic groups are notified as Scheduled Tribes as per Census 2011
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