Saturday, August 2, 2025
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अपने दम पर फहराया मिज़ो आर्ट का झंडा

किसी भी कलाकार को पारंपरिक कला की शब्दावली और उसके असंख्य रूपों की समझ होना बहुत जरूरी है। ऐसे ही गुणों से संपन्न, पुरस्कार विजेता और मिज़ोरम में आर्ट गैलरी चलाने वाली एकमात्र महिला कलाकार के बारे में बता रही हैं प्रोयशी बरुआ

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मिठाई ही नहीं, सांप-बिच्छू के काटे की दवा भी

साधारण सी कंद से अनूठी स्वादिष्ट मिठाई तो बनती ही है, आदिवासी लोग इसका उपयोग सांप, गिलहरी या चूहे के काटने पर दवा के रूप में भी करते हैं। निरोज रंजन मिश्र बता रहे हैं इस कंदमूल के बारे में

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अहा! पीढिय़ों से पसंदीदा मिठाई पीठा

त्योहारों, ख़ास कर, दुर्गा पूजा के समय पीठा आमतौर पर पूरे पश्चिम बंगाल, असम और ओडिशा में बनाया जाता है। लेकिन बंगाल के आदिवासी क्षेत्र जंगलमहल में यह थोड़ा अलग तरह से तैयार किया जाता है। इस जायकेदार मिठाई के बारे में अधिक जानकारी लेकर आई हैं एस. [...]

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मणिपुर में जातीय संघर्ष को नजरअंदाज करना हुआ खतरनाक

भारत के सबसे उग्रवाद प्रभावित प्रदेश मणिपुर में जातीय दुराव या संघर्ष को कम करके आंकने का ही परिणाम है कि वहां महीनों से हिंसा काबू में नहीं आ रही है। लगभग 15 संगठन जनजाति और समुदाय के आधार पर आपस में खूनखराबा करते रहे हैं। मृत्तिका जैन [...]

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इंद्रावती टाइगर रिजर्व के जनजातीय हीरो

पिछले एक साल से छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में स्थित इंद्रावती टाइगर रिजर्व में गश्ती गार्ड के रूप में कार्यरत स्थानीय आदिवासी युवाओं ने दीपान्विता गीता नियोगी को बताया कि वे कैसे काम करते हैं और उनके सामने इस दौरान क्या-क्या चुनौतियां पेश आती हैं।

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राजस्थानी जनजातीय कला मांडना पर शहरीकरण की छाया

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इस रेगिस्तानी राज्य के कच्चे घरों के धीरे-धीरे पक्के मकानों में तब्दील होने के कारण मांडना कला अब विलुप्त होती जा रही है, बता रही हैं दीपन्विता गीता नियोगी

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आदिवासी कार्टूनिस्ट ने बनाई अपनी विशेष पहचान

एक बढ़ई परिवार से आने वाले इस भूमिजा आदिवासी ने न केवल एक कार्टूनिस्ट के रूप में अपनी पहचान बनाई बल्कि ओडिशा कार्टूनिस्ट अकादमी स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। निरोज रंजन मिश्रा लाए हैं ओडिशा के एकमात्र आदिवासी कार्टूनिस्ट की कहानी

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बाल विवाह के खिलाफ जुनूनी महिला ने खड़ा कर दिया आंदोलन

ओडिशा के नबरंगपुर जिले के आदिवासी क्षेत्रों में बाल विवाह के खिलाफ एक 29 वर्षीय महिला ने मोर्चा संभाला हुआ है। जहां से भी बाल विवाह की खबर मिलती है, वह वहां पहुंच कर उसे रुकवा देती हैं। उसके इस मुहिम और उसकी चुनौतियों के बारे बता [...]

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तारेंगा जैसे लोग हों, तो क्यों न भागे भय का भूत

कौन हैं कोंध आदिवासी तारेंगा मांझी, जिन्होंने ओडिशा में चार साल की कड़ी मेहनत से हर बाधा को पार करते हुए अपने समुदाय के लोगों को टीकाकरण के लिए राजी किया? इनकी कहानी लेकर आए हैं नीरोज रंजन मिश्रा

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भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की पहली लड़ाई थी आदिवासियों की हूल क्रांति

झारखण्ड में जून 30 हूल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन 1855 में चार संथाल भाइयों और दो बहनों ने अंग्रेजी साम्राज्य की दमनकारी नीतियों के खिलाफ सशस्त्र विदोह का बिगुल फूँका था और पारम्परिक हथियारों से लैस हज़ारों आदिवासियों का नेतृत्व किया था। पर [...]

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In Numbers

705
Individual ethnic groups are notified as Scheduled Tribes as per Census 2011
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