रांची
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की अध्यक्षता में आज झारखंड मंत्रालय के सभाकक्ष में झारखंड जनजातीय परामर्शदातृ परिषद् (टीएसी) की बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में गहन विचार-विमर्श एवं चर्चा के उपरान्त कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर स्वीकृति मिली।
छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (CNT Act) की धारा 46 के अंतर्गत थाना क्षेत्र की परिभाषा में स्पष्टता लाने हेतु प्रस्ताव पर बिंदुवार चर्चा हुई। सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा 1938 के निर्धारित थाना क्षेत्र के आधार पर छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम के कार्यान्वयन हेतु विभाग एक प्रस्ताव तैयार कर उपस्थापित करे। उपरोक्त के संबंध में एक आयोग गठन करने के संबंध में भी सहमति बनी। उक्त गठित आयोग 6 महीने के भीतर सभी पहलुओं का अध्ययन करते हुए एक प्रतिवेदन समिति को समर्पित करेगी।
CNT Act के तहत कोई आदिवासी अपने थाना क्षेत्र से बहार अपनी ज़मीन नहीं बेच सकता। बैठक में थाना क्षेत्र की बाध्यता को समाप्त करने पर सहमति बनी। हालांकि इसे लागू कैसे किया जाएगा, इस पर अंतिम निर्णय कानूनी राय मिलने के बाद लिया जाएगा और इसे अगली TAC (Tribes Advisory Council) बैठक में मंजूरी के लिए लाया जाएगा।
“बैठक में आदिवासी हितों की रक्षा, सभ्यता-संस्कृति के संरक्षण एवं उनके सर्वांगीण विकास पर गहन विचार-विमर्श हुआ। छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (CNT एक्ट) की धारा 46 के अंतर्गत थाना क्षेत्र की परिभाषा में स्पष्टता लाने हेतु प्रस्ताव पर बिंदुवार चर्चा हुई।” उक्त जानकारी मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने मीडिया से साझा की।

झारखंड जनजातीय परामर्शदातृ परिषद् (टीएसी) द्वारा अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के प्रस्तावों पर चर्चा की गयी। करीब डेढ़ साल बाद हुयी टीएसी की बैठक में लिये गए कुछ अन्य महत्वपूर्ण निर्णय इस प्रकार हैं:
बैठक में एक अन्य अहम मुद्दा शेड्यूल एरिया में शराब दुकान, रेस्टोरेंट और बार खोलने को लेकर उठा। तय किया गया कि ऐसे क्षेत्रों में ग्रामसभा की सहमति से ही यह अनुमति दी जाएगी। खासकर जहां 50% से अधिक आबादी आदिवासी है, वहां ग्रामसभा की अनुमति अनिवार्य होगी।
सुवर्णरेखा बहुद्देशीय परियोजनान्तर्गत पश्चिमी सिंहभूम जिला में खरकई नदी में प्रस्तावित ईचा बाँध के निर्माण कार्य को पुनर्बहाल करने पर चर्चा हुई। झारखण्ड जनजातीय परामर्शदातृ समिति के गहन विचार-विमर्श के उपरांत ईचा खरकई बाँध से हो रहे विस्थापित जनजाति समुदाय सहित अन्य व्यक्तियों पर पड़ने वाले प्रभाव के संबंध में प्रभावित ग्रामों की वर्तमान स्थिति का भौतिक सत्यापन करते हुए फोटो, वीडियो के साथ एक जांच प्रतिवेदन तैयार कर पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन (पीपीटी) के माध्यम से प्रस्तुत किए जाने हेतु सहमति बनी। उक्त प्रतिवेदन के आलोक में आगे की कार्यवाही पर निर्णय लिया जाएगा।
वन अधिकार योजना अंतर्गत “अबुआ बीर दिशोम” अभियान के क्रियान्वयन पर चर्चा के उपरांत यह निर्णय लिया गया कि यह “अबुआ बीर दिशोम”व्यापक रूप से लगातार चलाई जाती रहे।यह सुनिश्चित किया जाए कि हर 2 माह में वनपट्टा का वितरण अनिवार्य रूप से हो । वनपट्टा हेतु प्राप्त आवेदनों के अद्यतन स्थिति की समीक्षा करते हुए स्वीकृति प्रक्रिया अविलंब पूरी किए जाने पर सहमति बनी।
भाजपा ने बैठक का बहिष्कार किया। हेमन्त ने कहा कि इसमें कुछ भी नयी बात नहीं है। भाजपा जब भी विपक्ष में रहती है सरकार से कोई सहयोग नहीं करती है।
इन विषयों पर हुई चर्चा:
- बोकारो जिला के ललपनिया में आदिवासी धार्मिक स्थल लगुबुरु में डीवीसी (DVC) द्वारा पनबिजली परियोजना पर कार्य किए जाने के संबंध में चर्चा की गई। इस संबंध में माननीय सदस्यों को अवगत कराया गया कि राज्य सरकार द्वारा आदिवासी धर्म स्थल लगुबुरु को संरक्षित रखने की मंशा से डीवीसी एवं भारत सरकार को अवगत कराया जा चुका है। राज्य सरकार द्वारा पूर्व में ही डीवीसी के इस परियोजना को स्थगित किए जाने का निर्णय लिया गया है।
- वनपट्टा आच्छादित परिवारों के विद्यार्थियों एवं बच्चे-बच्चियों के आवासीय एवं जाति प्रमाण पत्र निर्गत करने में जो व्यवधान अथवा कठिनाइयां उत्पन्न हो रही है ,उसका समाधान सुनिश्चित की जाए।