इंफाल
युबी लकपी मणिपुर का एक पारंपरिक आउटडोर खेल है, जो आज भी मुख्य रूप से इसी उत्तर-पूर्वी राज्य में खेला जाता है। यह खेल हर साल संगाई फेस्टिवल में विशेष आकर्षण बनता है, जहां पारंपरिक संगीत, नृत्य और खेलों की झलक मिलती है।
युबी लकपी नाम मणिपुरी भाषा से लिया गया है —‘युबी’ का अर्थ है नारियल और ‘लकपी’ का अर्थ है पकड़ना। यानी ‘नारियल छीनने का खेल’। इसकी शैली अमेरिकी फुटबॉल और ब्रिटिश रग्बी जैसी दिखती है, परंतु इसमें मणिपुरी पारंपरिक कुश्ती मुखना जैसी मार्शल आर्ट भी शामिल होती है। इसीलिए इसे मणिपुरी रग्बी भी कहा जाता है।
ऐतिहासिक उत्पत्ति
युबी लकपी की जड़ें समुद्र मंथन की कथा से जुड़ी मानी जाती हैं जहां देवताओं और असुरों के बीच अमृत कलश पाने की छीना-झपटी हुई थी।
ब्रिटिश लेखिका एमा लेविन ने लिखा है: शायद यही आधुनिक रग्बी की जड़ है। यह खेल सदियों से खेला जा रहा है और रग्बी बाद में विकसित हुआ। यह मात्र संयोग नहीं हो सकता।”
खेल की अनोखी शैली
- खिलाड़ी तेल और पानी से सने होते हैं, जिससे उन्हें पकड़ना बेहद मुश्किल हो जाता है
- हर खिलाड़ी अकेले खेलता है—कोई टीम नहीं, कोई समय सीमा नहीं
- विजेता वही होता है, जो नारियल छीनकर गोल बॉक्स तक पहुंचा दे
- परंपरागत रूप से विजेता नारियल को जनजातीय मुखिया को अर्पित करता है। अब यह सम्मान प्रायः शिक्षक, अधिकारी या मुख्य अतिथि को दिया जाता है
खेल का मैदान
- आयताकार मैदान: 45 मीटर x 18 मीटर
- गोल क्षेत्र: 4.5 मीटर x 3 मीटर (अंतिम रेखा के बाद)
- गोलपोस्ट: कपड़े की झंडी या खंभे से चिह्नित
- मैदान: सूखी मिट्टी या घास पर खेला जाता है
- समतल और सुरक्षित मैदान होना ज़रूरी
ज़रूरी सामग्री व पोशाक
- चूना/चॉक से सीमा रेखा
- सरसों का तेल और नारियल
- विकल्प के तौर पर रग्बी बॉल या अमेरिकी फुटबॉल
- खिलाड़ी नंगे पांव, छोटे कपड़े या लंगोट पहनकर खेलते हैं
- महिलाएं अपनी सुविधा अनुसार वस्त्र चुनती हैं
खिलाड़ियों की संख्या और भूमिकाएँ
- संख्या तय नहीं, आमतौर पर 4 से 7 तक उचित मानी जाती है
- दो रेफरी (शुरुआत और अंत रेखा पर) और एक अंपायर खेल नियंत्रित करते हैं
खेलने का तरीका
- नारियल को मैदान की शुरुआत में रखा जाता है
- सीटी बजते ही खिलाड़ी उसे छीनने के लिए दौड़ पड़ते हैं
- नारियल पकड़ने वाला खिलाड़ी उसे सीने से लगाकर गोल की ओर भागता है
- बाकी खिलाड़ी उसे गिराने और नारियल छीनने की कोशिश करते हैं
- छीनने और दौड़ने का सिलसिला तब तक चलता है, जब तक कोई खिलाड़ी गोल बॉक्स तक नहीं पहुंचता
- गोल मिलते ही खेल समाप्त होता है और नारियल ‘मुखिया/जज’ को अर्पित किया जाता है
नियम
- नारियल हमेशा शरीर से सटा रहना चाहिए
- खिलाड़ी प्रतिद्वंद्वी को मार नहीं सकते, सिर्फ नारियल पकड़ने वाले को रोक सकते हैं
- खिलाड़ियों को सीमा रेखा से बाहर धकेलना मना
- नारियल को लात नहीं मारी जा सकती
मुख्य कौशल
- असाधारण स्टैमिना और सहनशक्ति
- मुखना जैसी कुश्ती कला
- तेज़ गति, फुर्ती और त्वरित निर्णय लेने की क्षमता
लाभ और जीवन के सबक
- तेज़ प्रतिक्रिया और सजगता विकसित होती है
- शारीरिक शक्ति, दौड़ने की क्षमता और आत्मरक्षा कौशल बढ़ते हैं
- प्राचीन काल में इसे युद्धभूमि के लिए उपयुक्त योद्धा चुनने की प्रक्रिया माना जाता था
वर्तमान स्थिति
- इस खेल पर स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म बन रहा है
- याओशांग महोत्सव में यह खेल राजपरिवार की मौजूदगी में आधिकारिक तौर पर खेला जाता है
विश्व में समान खेल
देश/क्षेत्र | खेल का नाम |
ऑस्ट्रेलिया | मैन ग्रूक |
चीन | कूजू |
इंग्लैंड (यूनाइटेड किंगडम) | रग्बी |
अर्जेंटीना, कोलंबिया, स्पेन आदि | रायुएला |
इटली | कैल्सियो फियोरेंटिनो |
घाना | तुमातु |
(स्रोत: भारतीयखेल)