गर्मी का मौसम आते ही नुआपाड़ा जिले की जनजातियों में शादियों का दौर शुरू हो जाता है। विचित्र रस्मों के साथ-साथ मनोरंजन के तडक़े से सजे यहां के विवाह समारोह भी अन्य भारतीय शादी-समारोहों जैसे भव्य होते हैं और दावत में भारी संख्या में मेहमान जुटते हैं।
साओरा विवाह में कई अजीबो-गरीब और मनोरंजक रस्में होती हैं। शादी तय कराने में बिचौलिए की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। संभावित वर और वधू मेले या किसी उत्सव के मौके पर मिलकर एक-दूसरे को जानने का प्रयत्न करते हैं।
एक बार जब विवाह को अंतिम रूप दिया जाता है, तो दूल्हा अपनी दुल्हन का अपहरण कर लेता है, जबकि लडक़ी के पिता इस अपराध से आंखें मूंद लेते हैं। इस अपहरण के समय पिता के रूप में उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता।
दयानिधि फाउंडेशन के सचिव दयानिधि गौड़ा के अनुसार, अपहरण आमतौर पर लडक़ी के यौवन प्राप्त करने के कुछ दिनों बाद किया जाता है।
इस शादी में शामिल होने मेहमान दूरदराज के गांवों से आते हैं। दावत के लिए वे जंगलों से होते हुए लंबी दूरी तय कर दूल्हे के घर पहुंचते हैं। दूल्हा के घर छांचा देकर मेहमानों का स्वागत किया जाता है। इस छांचा में चावल, दाल, सब्जियां और कपड़ों के उपहार होते हैं।
गौड़ा कहते हैं कि शादी के दौरान दोस्तों और रिश्तेदारों का आना बहुत जरूरी होता है। इसे बंधु मिलन कहते हैं। आदिवासी समाज में सामाजिक संबंध बहुत मजबूत होते हैं। यदि एक व्यक्ति किसी चीज से नाराज होकर दावत में आने से मना कर देता है, तो फिर उसके लिए दूसरे भी नहीं आते।
दूल्हा-दुल्हन के बैठने के लिए शादी के स्टेज को तांगनी लकड़ी के चार छोटे स्तंभ के साथ जामुन के पत्तों और शाखाओं से सजाया जाता है। हालांकि, हिंदू विवाहों की तरह यहां आग के सामने कोई अनुष्ठान नहीं होता। एक और बात, आम भारतीयों के शादी-समारोह अमूूमन दुल्हन के घर या उसके शहर-गांव के वेडिंग परिसरों में आयोजित होते हैं जबकि आदिवासियों में सभी रस्में दूल्हा पक्ष के यहां संपन्न होती हैं।
इसके बाद बारी आती है शादी की विशिष्ट मनोरंजक रस्मों की। शादी के बंधन में बंधे जोड़े के कंधों पर हल रखा जाता है। दोनों एक-दूसरे की ओर पीठ कर खड़े हो जाते हैं और दूल्हा अपने हाथों को पीछे की ओर करके दुल्हन को पकड़ लेता है। इस प्रकार एक-दूसरे को पकडक़र दोनों शादी की वेदी की परिक्रमा करते हैं और महिलाएं उन पर हल्दी का पानी छिडक़ती हैं।
आदिवासी लोगों में दावत और मनोरंजन के कार्यक्रम शादी के तीसरे दिन होते हैं। शादी की दावत में मेहमानों के लिए मटन और अन्य व्यंजन तैयार कराए जाते हैं। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए शादी के दौरान शराब नहीं परोसी जाती है। पुरुष मेहमानों को हंडिया, माहुली और पंगु परोसी जाती है।