भुवनेश्वर
फसल कटाई का सीजन खत्म होने के बाद आदिवासी लोग पूरे उल्लास के साथ उत्सव मनाते हैं। ऐसा ही एक आदिवासी सांस्कृतिक कार्यक्रम है सैलोदी, जो फसल कटाई के मौसम के खत्म होने के बाद बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। विशेष यह कि इस सैलोदी उत्सव में अविवाहित लड़कियां ही भाग लेती हैं, लेकिन इसका लुत्फ आसपास के क्षेत्र के सभी लोग मिलकर उठाते हैं।
ओडिशा के नबरंगपुर जिले के एक छोटे से गांव में चांदनी से सरोबार शाम में लड़कियां खुले मैदान में जमा होती हैं। इनमें अधिकांश लड़कियां कोंध, परजा, साओरा और बरारा जैसी जनजातियों से होती हैं।
हंसी-ठिठोली और एक-दूसरे को छेड़ने के बीच युवा लड़कियां चांदनी की सुंदरता का बखान करती हैं। वे प्राकृतिक नजारों, नदियों, झीलों जैसे प्रकृति के अन्य पहलुओं का विस्तृत वर्णन करते हुए गीत गाती और खूब नृत्य करती हैं।
मलकानगिरी जिला कला संस्कृति संघ के उपाध्यक्ष पेंड्रा प्रसाद नायक इस आदिवासी सांस्कृतिक कार्यक्रम की एक अनोखी विशेषता बताते हैं। उन्होंने The Indian Tribal को बताया, ‘संगीत के बिना आदिवासी समुदायों के सामाजिक-सांस्कृतिक समारोह संपन्न ही नहीं होते। संगीत तो उनका अभिन्न हिस्सा होता है, लेकिन लड़कियों का यह उत्सव बिना संगीत ही आयोजित होता। इसके बावजूद खूब लुभाता है।’
हां, चुटकुले इस कार्यक्रम में हंसी के रंग भर देते हैं। दर्शकों को खुश रखने के लिए छिटपुट पंचलाइन भी बोली जाती हैं। उदाहरण के लिए, लड़कियां दर्शकों को अपने इस खेल में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। वे नकली औपचारिकता के साथ बार-बार उन्हें निमंत्रण देती हैं कि आओ, हमारे साथ नाचो-गाओ, लेकिन ये सब होता है औपचारिकता भर। पूरे समय कार्यक्रम का हिस्सा लड़कियां ही रहती हैं। दर्शक सिर्फ इस उत्सव का आनंद उठाते हैं।
जाड़ों के बाद होने वाला यह एक ऐसा सांस्कृतिक कार्यक्रम है, जिसका आदिवासी लोग महीनों पहले से बेसब्री से इंतजार करते हैं। वे चाहते हैं कि ये सर्दियां जल्द से जल्द रवाना हों और उन्हें अपना पसंदीदा कार्यक्रम देखने को मिले। नायक के अनुसार, वास्तव में गर्मियों के आने तक इस उत्सव को लेकर नियमित बैठकें होती रहती हैं।
उन्होंने बताया कि एक बार जब कटाई का सीजन पूरी तरह खत्म हो जाता है और दशहरा की चकाचौंध धीमी पड़ जाती है, तो समझो सैलोदी का समय आ गया। पेंड्रा कहते हैं, ‘यह उत्सव कितने समय तक चले, इसकी कोई समय-सीमा तय नहीं की गई है, लेकिन यह गर्मियों के आने तक खूब खेला जाता है और महीनों तक के लिए माहौल में उत्सवी रंग भर जाता है।