रांची
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की अध्यक्षता में हुयी आज जनजातीय परामर्शदातृ परिषद (टीएसी) की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) की 1500 मेगावाट लुगु पहाड़ हाइडल पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट को किसी भी हाल में स्थापित नही होने दिया जाएगा।
लुगु पहाड़ आदिवासी समुदाय, ख़ास कर संथालियों के आस्था और विश्वास का धार्मिक धरोहर है। इस परियोजना के विरोध के आदिवासी समुदाय ने अपनी कड़ी आपत्ति जताई थी। इसी के मद्देनज़र उनके धरोहर को संरक्षित करने का महत्वपूर्ण निर्णय आज जनजातीय परामर्शदातृ परिषद की बैठक में लिया गया।
झारखण्ड सरकार के तरफ से बताया गया कि (टीएसी) की बैठक में सम्यक विचारोंपरांत बोकारो जिला स्थित आदिवासी संतालियों के धार्मिक धरोहर लुगू पहाड़ पर डीवीसी लिमिटेड द्वारा प्रस्तावित लुगु पहाड़ हाइडल पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट को किसी भी हाल में स्थापित नहीं होने दिए जाने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया।
इस संबंध में मुख्यमंत्री-सह-अध्यक्ष जनजातीय परामर्शदातृ परिषद हेमन्त सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार हर हाल में आदिवासी समुदाय की आस्था और विश्वास का धार्मिक धरोहर लुगू पहाड़ को संरक्षित करने का काम करेगी। हमारी सरकार किसी भी समुदाय के भावनाओं से खिलवाड़ नहीं होने देगी। जन भावना के अनुरूप टीएसी द्वारा लुगु पहाड़ हाइडल पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट को लुगु पहाड़ में नहीं स्थापित होने दिए जाने के संबंध में आज की बैठक में लिया गया निर्णय महत्वपूर्ण है।
जनजातीय परामर्शदातृ परिषद (टीएसी) ने के एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया। सीएनटी एक्ट के अंतर्गत 26 जनवरी 1950 के समय राज्य के भीतर जो जिले और थाने स्थापित थे, उन्हीं को जिला और थाना मानते हुए धारा-46 के तहत जमीन-खरीद बिक्री हेतु मान्यता प्रदान किए जाने का निर्णय लिया गया।
इसके अलावा बैठक में वर्तमान राज्य सरकार के चार वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आगामी 15 नवंबर से 29 दिसंबर 2023 तक राज्यव्यापी अभियान “आपकी योजना, आपकी सरकार आपके द्वार” कार्यक्रम में जन-प्रतिनिधिगण एवं प्रभारी मंत्री को अपनी महती भूमिका निर्वहन करने का निर्देश दिया गया।
“आपकी योजना, आपकी सरकार आपके द्वार” के अंतर्गत आयोजित होने वाले शिविरों में बिरसा आवास योजना, बिरसा सिंचाई कूप योजना, जाति/आय/जन्म/मृत्यु/ दिव्यांगता प्रमाण पत्र सहित सर्वजन पेंशन, सावित्रीबाई फुले बालिका समृद्धि योजना, किसान क्रेडिट कार्ड योजना, मुख्यमंत्री पशुधन योजना आदि का लाभ शत प्रतिशत लाभुकों को सुनिश्चित कराया जा सके इस निमित्त गहन विचार-विमर्श किया गया।
बैठक में वन अधिकार अंतर्गत “अबुआ बीर अबुआ दिशोम अभियान” के अंतर्गत राज्य के वैसे आश्रित जो वनों पर निर्भर हैं उनके बीच व्यक्तिगत एवं सामुदायिक पट्टे का वितरण तेज गति से किए जाने के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए। बैठक में झारखंड में पेसा कानून लागू किए जाने संबंधी प्रस्ताव पर विचार-विमर्श हुआ।
टीएसी के सदस्यों से राज्य में बेहतर पेसा कानून लागू किया जा सके इस निमित्त उनके लिखित सुझाव भी मांगे गए। बैठक में छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम, 1908 पर चर्चा सहित कई अन्य महत्वपूर्ण विकासात्मक मुद्दों पर गहन विचार विमर्श-किया गया।
बैठक में प्रो० स्टीफन मरांडी, सदस्य झारखंड विधान सभा-सह-सदस्य जनजातीय परामर्शदातृ परिषद की अध्यक्षता में गठित उप समिति के कार्यकाल को अगले 1 वर्ष के लिए अवधि विस्तार दिए जाने संबंधी प्रस्ताव पर सहमति दी गई।
बैठक में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के मंत्री-सह-टीएसी के उपाध्यक्ष चम्पई सोरेन, विधायक-सह-टीएसी सदस्य प्रो. स्टीफन मरांडी, सीता सोरेन, दीपक बिरुआ, भूषण तिर्की, सुखराम उरांव, दशरथ गगराई, विकास कुमार मुंडा, राजेश कच्छप, सोनाराम सिंकू, शिल्पी नेहा तिर्की, मनोनीत सदस्य विश्वनाथ सिंह सरदार, जमल मुंडा, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे सहित अन्य उपस्थित थे।
क्या है मामला?
- लुगू पहाड़ स्थित लुगू बाबा गुफा संथालियों का धर्म स्थल है। उनका कहना है कि इसके आसपास के 10 किलोमीटर के क्षेत्र में प्रकृति से छेड़छाड़ किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
- लुगू पहाड़ क्षेत्र में स्थापित होने वाली इस परियोजना में दो जल संवाहक प्रणाली होगी। एक जल संवाहक प्रणाली लुगू पहाड़ पर 1.16 स्क्वायर किलोमीटर की और दूसरी जल संवाहक प्रणाली पहाड़ के नीचे 2.02 स्क्वायर किलोमीटर की होगी। दोनों जल संवाहक प्रणालियों को विद्युत उत्पादक संयंत्र से जोड़ा जाएगा।
- डीवीसी का दावा है कि परियोजना के निर्माण के क्रम में लुगू पहाड़ स्थित संथालियों के धर्मस्थल लुगूबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ के पास न तो किसी प्रकार का अतिक्रमण होगा न ही वहां की प्राकृतिक धरोहर से छेड़छाड़ की जाएगी। पर स्थानीय ग्रामीणों, विशेषकर संथालियों, ने सिरे से इसे नकार दिया और इसके विरोध में एकजुट हो गए।