भुवनेश्वर
रतालू (डायोस्कोरिया एसपी) साधारण सी कंदमूल ही तो है, लेकिन इसके बड़े-बड़े फायदे हैं। यह फाइबर, पोटेशियम, मैंगनीज, तांबा और एंटीऑक्सीडेंट जैसे तत्वों से भरपूर होती है और मस्तिष्क स्वास्थ्य में लाभ पहुंचाने के साथ-साथ रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) को नियंत्रित करने में भी काफी मदद करती है।
कभी संभवत: अनजाने में ही यह कंदमूल आदिवासी खान-पान विशेषज्ञों के हाथ लगी होगी। यूं तो यह बिल्कुल बे-स्वाद कंद होती है, लेकिन ओडिशा की कोंध जनजाति इससे स्वादिष्ट व्यंजन बनाने में माहिर होती है और उनके बने व्यंजन बड़े चाव से खाए जाते हैं।
उडिय़ा में खंबा या माटी आलू कहा जाने वाला रतालू ओडिशा के कंधमाल जिले के फुलबनी ब्लॉक के जंगलों में खूब पाया जाता है। कोंध जनजाति के लोग इस रतालू को मासिया कांडा या बन आलू यानी जंगली आलू भी कहते हैं। अमूमन यह हाथी के पैर के आकार का होता है।
आसपास के जंगलों में उन्हें आसानी से ये रतालू मिल जाते हैं और वे टोकरियों में भरकर अपने घरों को लौटते हैं। घर लाकर इसे अच्छी तरह धोया जाता है, क्योंकि इस पर मिट्टी लगी होती है। धोने के बाद छीलकर इसे गोल-गोल टुकड़ों में काटते हैं। फिर मिट्टी के बर्तन में पानी के साथ इन्हें उबाला जाता है। जब यह खूब उबल जाता है तो चूल्हे से उतार लेते हैं। जब यह ठंडा हो जाए, तो इसमें चीनी या गुड़ मिलाकर कुछ समय के लिए मैरीनेट होने के लिए छोड़ दें। इस तरह स्वादिष्ट मिठाई तैयार।
कटक स्थित संस्कृति कला परिषद के अध्यक्ष लक्ष्मीधर साहू कंधमाल के पास के ही रहने वाले हैं। वह इस स्वादिष्ट मीठे पकवान से बहुत अच्छी तरह परिचित हैं। वह कहते हैं कि यह पकवान साल के सूखे पत्तों से बने कप या कटोरे, जिसे सियाली चौथी/धान भी कहते हैं, में परोसा जाता है।
साप्ताहिक हाट में इस मीठे पकवान के कटोरे हॉटकेक की तरह बिकते हैं। आदिवासी ही नहीं, गैर-आदिवासी लोग भी इसे खूब चाव से खाते हैं। साहू मुस्कुराते हुए कहते हैं कि यह इतना स्वादिष्ट होता है कि जब कोई इसे आपके सामने पेश करे तो इसे न कहना काफी मुश्किल होता है।
एक स्थानीय आदिवासी चिनचिना ने The Indian Tribal को बताया कि मासिया कंद के कई चमत्कारी लाभ हैं। वह बताते हैं कि इसका उपयोग सांप-बिच्छू या चूहे-गिलहरी जैसे जानवरों के काटने पर दवा के रूप में भी किया जाता है। वह कहते हैं कि सांप के काटने वाली जगह पर दबा- दबा कर खून निकालते हैं और फौरन छिलके वाले मासिया कंद से रगड़ देते हैं। इससे काफी आराम मिलता है।