रांची
कुरमी/कुड़मी, महतो को आदिवासी बनाने के लिए “विभिन्न राजनीति पार्टियों के द्वारा किए जा रहे प्रयास के विरोध” में विभिन्न आदिवासी संगठनों के द्वारा यहाँ मोरहाबादी मैदान रांची में रविवार को महारैली का आयोजन किया गया।
इस महारैली को पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव, देव कुमार धान, लक्ष्मी नारायण मुंडा समेत अन्य ने संबोधित किया और विभिन्न आदिवासी संगठनों ने संयुक्त रुप से पच्चीस प्रस्ताव पारित किए| कुछ प्रमुख माँगें इस प्रकार हैं:-
- केंद्र या राज्य सरकार द्वारा कुरमी महतो को आदिवासी बनाने हेतु किए जा रहे किसी भी प्रयास को आदिवासी विरोधी माना जाएगा। कोई भी पार्टी, चाहे वह राष्ट्रीय पार्टी हो या क्षेत्रीय, जो भी कुरमी महतो को आदिवासी बनाने का प्रयास करेगी उन सभी पार्टियों का पूरा आदिवासी समाज सामूहिक विरोध करेगा |
- अंग्रेजी हुकूमत के दौर में भूमिज मुंडा समुदाय की चुआड़ विद्रोह के महानायक रघुनाथ सिंह भूमिज को कुरमी/कुड़मी महतो समुदाय के द्वारा षड्यंत्र के तहत अपनी जातीय गौरव को स्थापित करने के लिए रघुनाथ महतो बताया जा रहा है जिसका पूरा आदिवासी समाज पुरजोर विरोध करता है |
- सीएनटी एक्ट और एसपीटी एक्ट का उल्लंघन कर जितने भी आदिवासी जमीन की लूट की गई है उन सभी की जाँच कर उस जमीन को मूल खतियान धारियो को वापस किया जाए। साथ ही आदिवासी जमीन की अवैध हस्तांतरण घोटाले की जांच सीबीआई से कराई जाए |
- आदिवासियों के धार्मिक एवं सामाजिक स्थल सरना, जाहेर, देशावली, जतरा स्थल, खूटकट्टी को चिन्हित कर इन सभी जमीन को सुरक्षा प्रदान किया जाए |
- पारसनाथ सहित आदिवासियों के सभी धार्मिक स्थल को गैर आदिवासियों के कब्जे से मुक्त किया जाए |
- आदिवासी जमीन की खरीद बिक्री में थाना क्षेत्र की बाध्यता खत्म किया जाए और उसकी परिधि पूरा झारखंड राज्य किया जाए।
- हेमंत सरकार द्वारा कोर्ट फ़ीस में की गई बढ़ोतरी आदिवासियों और मूल वासियों के हित में नहीं है। जहां पहले कोर्ट फीस दस हजार लगता था अब वहां तीन लाख लगेगा इससे गरीब आदिवासी और मूलवासी कोर्ट में केस नहीं कर पाएंगे और जमीन माफियाओं के द्वारा उनकी जमीन को लूट लिया जाएगा इसलिए कोर्ट फीस में की गई बढ़ोतरी को हेमंत सरकार वापस ले |
- गैर आदिवासियों के द्वारा आदिवासी महिला को पहली, दूसरी और तीसरी पत्नी बनाकर उस महिला के नाम से आदिवासियों के हजारों एकड़ जमीन की अवैध ढंग से खरीद बिक्री की जा रही है, इसलिए गैर आदिवासी से विवाह करने वाले आदिवासी महिलाओं का आदिवासी का दर्जा खत्म किया जाए और ऐसी महिलाओं को एसटी का जाति प्रमाण पत्र नहीं बनाया जाए |
- पेसा कानून की नियमावली तथा स्थानीय नीति बनाकर यथाशीघ्र लागू किया जाए |
- आदिवासी भाषाओं के संरक्षण एवं विकास के लिए आदिवासी भाषाओं की पढ़ाई प्राथमिक स्तर से कॉलेज स्तर तक अनिवार्य रुप से कराया जाए।
- प्राकृतिक पूजक आदिवासियों के धर्म की रक्षा एवं विकास हेतु सरना आदिवासी धर्म न्यास बोर्ड का गठन किया जाए। राज्य सरकार के शैक्षणिक एवं नौकरियो के फ़ोर्म में आदिवासियों के लिए सरना आदिवासी धर्म कॉलम लागू किया जाए |
- यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) जैसे काले कानून का पूरे देश में विरोध किया जाएगा |
- आदिवासियों के लोक कला संगीत पत्रिका पेपर कला संस्कृति साहित्य इत्यादि के विकास हेतु विशेष पैकेज की व्यवस्था की जाए।
2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, जो अब केंद्रीय आदिवासी मामलों के मंत्री हैं, ने केंद्र से कुर्मी/कुड़मी को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की सिफारिश की थी पर ट्राइबल रिसर्च इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया ने इसकी खिलाफत की थी जिसके कारण केंद्र ने मुंडा की अनुसंशा ठुकरा दी।
हाल में पारसनाथ पर जैनियों के सम्मेद शिखर के मुद्दे पर भी आदिवासियों ने मोर्चा खोल रखा है और मरांगबुरु बचाओ अभियान छेड़ रखा है।