इंडियन ट्राइबल न्यूज़ सर्विस
नयी दिल्ली
रूस में मृत आदिवासी युवक हितेंद्र गरासिया का अंतिम संस्कार करीब सात महीनों बाद उनके पैतृक गांव गोड़वा में हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार मंगलवार (फरवरी ८) को किया गया।
उदयपुर के खेरवाड़ा तहसील के गोडवा गांव निवासी गरासिया ने कुछ सपने समेट कर मास्को की उड़ान भरी थी, लेकिन कुछ माह बाद ही उनकी वहां मौत हो गई। मौत के एक महीने बाद रूसी सरकार ने परिवार को इसकी सूचना दी थी और तब से उनकी पत्नी अपने पति का शव वापस लाने के लिए तड़प रही थी। राजस्थान उच्च न्यायालय ने भी मामले में दखल दिया था।
उदयपुर से आ रही ख़बरों के अनुसार गरासिया के शव को रूस से फरवरी ६ को नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लाया गया। फिर केंद्र सरकार के अधिकारियों ने शव को राज्य सरकार के अधिकारियों के हवाले किया और जिन्होंने पूरी औपचारिकता के बाद उनके पार्थिव शरीर को सोमवार रात जयपुर से रवाना किया।
उससे पहले उनकी पहचान जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में परिजनों ने किया। पिछले साल जुलाई में मौत के बावजूद उनका चेहरा पूरी तरह सुरक्षित था।पोस्टमार्टम की प्रक्रिया संपन्न होने के बाद शव परिजनों के हवाले किया गया।
गरासिया एक साल के वर्क वीजा पर २०२१ के अप्रैल में रूस गए थे और जुलाई में मास्को के एक पार्क में मृत पाए गए। अदालत ने विदेश मंत्रालय को परिवार की हर संभव मदद के निर्देश दिए थे ।
हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह आदिवासी व्यक्ति के पार्थिव शरीर को रूस से वापस लाने के लिए हर संभव कदम उठाए।
मास्को पुलिस ने इसे दुर्घटना से हुई मौत बताया। पीडि़त परिवार को स्थानीय पुलिस ने अगस्त २८ को घटना की सूचना दी थी। गारसिया का परिवार उनके पार्थिव शरीर को वापस लाने के लिए दर-दर भटक रहा था ताकि घर लाकर उनका अंतिम संस्कार किया जा सके।
करीब सात महीनों बाद अब जाकर गरासिया को अपने गाँव की मिटटी नसीब हो पायी।