इंडियन ट्राइबल न्यूज़ सर्विस
भोपाल
मध्य प्रदेश के आदिवासी इलाकों में लोकप्रिय महुआ से बनी शराब को अब ‘विरासत मदिरा’ नाम से पुकारा जाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को मंडला में कहा कि महुआ से बनी शराब को वैध बनाने के लिए नई आवकारी नीति बनाई जा रही है। इसके बाद यह शराब दुकानों में ‘विरासत मदिरा’ के नाम से बेची जाएगी।इससे आदिवासियों की आमदनी बढ़ेगी और उन्हें कानूनी कार्रवाई का डर भी नहीं रहेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब आदिवासी लोग बेखौफ होकर महुआ और ताड़ी बेच सकेंगे। उन्होंने कहा कि मैं शराब का समर्थन नहीं करता, लेकिन यदि आदिवासी समुदाय अपनी परंपरा के लिए शराब बनाते या पीते हैं, तो इसमें कोई बुराई नहीं है। जन्म, मृत्यु और पूजा जैसे कई अवसर आदिवासी संस्कृति का हिस्सा है। इन अवसरों पर वे दावतों में महुआ से बनी शराब मेहमानों को परोसते हैं।
आदिवासी समाज की संस्कृति और परंपरा को बनाए रखने के लिए महुआ से शराब बनाने की भी अनुमति दी जाएगी और उनके खिलाफ कोई पुलिस मामला दर्ज नहीं किया जाएगा।
सीएम ने कहा कि आदिवासी समाज की संस्कृति और परंपरा को बनाए रखने के लिए महुआ से शराब बनाने की भी अनुमति दी जाएगी और उनके खिलाफ कोई पुलिस मामला दर्ज नहीं किया जाएगा। मालूम हो कि जहरीली शराब के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए मध्य प्रदेश कैबिनेट ने इसी साल अगस्त में मध्य प्रदेश आवकारी (संशोधन) विधेयक, 2021 में एक संशोधन पारित किया, जिसमें महुआ का उपयोग करके आदिवासियों द्वारा बनाई गई विरासत शराब के उपभोग, निर्माण और बिक्री का प्रावधान है। हालांकि अधिकारी कहते हैं कि विरासत शराब की परिभाषा और इसे बेचने के लिए लाइसेंस देने के मुद्दे को अभी अंतिम रूप दिया जाना बाकी है।
शराब से संबंधित जो मामले गंभीर प्रकृति के नहीं हैं, उन्हें वापस लिया जाएगा: शिवराज
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों को छोटे-छोटे मामलों के लिए कोर्ट के चक्कर काटने पड़ते हैं। उन्होंने भरोसा दिया कि शराब से संबंधित जो मामले गंभीर प्रकृति के नहीं हैं, उन्हें वापस लिया जाएगा। इस मौके पर शिवराज ने कहा कि गोंडवाना के गौरवशाली इतिहास को सामने लाना जरूरी है। ये उन महापुरुषों और क्रांतिकारियों के प्रति श्रद्धांजलि होगी, जिन्होंने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी।