दुमका/रांची
प्रकृति की गोद में बसे संथाल परगना की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं वीर सपूतों की बलिदानी भूमि से मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने आज गणतंत्र दिवस के अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा कि इतिहास गवाह है कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के पहले भी झारखण्ड के कई आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र थे, जहाँ आजादी की लड़ाई लड़ी गई।
झारखण्ड के ऐसे महान विभूतियों भगवान बिरसा मुण्डा, तिलका मांझी, वीर शहीद सिद्धो-कान्हू, चाँद-भैरव, बहन फूलो-झानो, वीर बुधु भगत, जतरा टाना भगत, नीलाम्बर-पीताम्बर, शेख भिखारी, टिकैत उमराँव सिंह, पाण्डेय गणपत राय, शहीद विष्वनाथ शाहदेव को नमन करता हूँ। उनकी संघर्ष गाथा आज भी हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत हैं।
हेमन्त ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, पं0 जवाहरलाल नेहरू, डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, मौलाना अबुल कलाम आजाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, शहीदे आजम भगत सिंह और बाबा साहब डॉ0 भीमराव अम्बेदकर सहित उन महान विभूतियों को, जिनके नेतृत्व में देश ने स्वतंत्रता प्राप्त की और एक सशक्त लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में विश्व के मानचित्र पर अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुए, को भी नमन किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज ही के दिन 26 जनवरी, 1950 को हमने अपने संविधान को पूर्णतः लागू किया था। दासता के दुःख भरे इतिहास को भुलाकर एक स्वर्णिम भविष्य की आकांक्षाओं के साथ हमने अपने संविधान को अपनाया और एक ऐसे राष्ट्र के निर्माण का संकल्प लिया जहाँ न तो आर्थिक विषमता हो और न सामाजिक भेद-भाव। स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व हमारे संविधान की मूल भावना है और इन्हीं आदर्शों से उस ठोस आधारशिला का निर्माण हुआ है, जिन पर हमारा गणतंत्र मजबूती से खड़ा है।
“जब हम आदिवासियों, पिछड़ों, दलितों के अधिकार की बात करते हैं, तो स्वभाविक रूप से जो नाम हमारे जेहन में सबसे पहले आता है, वह है- संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अम्बेदकर का। मैं, नमन करता हूँ ऐसे दूरदर्शी सोच रखने वाले राष्ट्रनिर्माता को, जिनके अथक प्रयास की बदौलत सदियों से शोषित इस वर्ग को सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार मिला। मेरा मानना है कि बाबा साहब के आदर्शों और मूल्यों को आत्मसात कर, उनके पदचिन्हों पर चलकर ही हम विकास के लक्ष्यों को सही अर्थों में प्राप्त कर सकते हैं,” हेमन्त ने कहा।
हाल ही में हुए विधान सभा चुनाव के बारे बोलते हुए उन्होंने कहा कि यह चुनाव कई मायनों में ऐतिहासिक रहा। झारखण्ड के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी सत्ताधारी दल ने लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी की है, वह भी दो तिहाई बहुमत के प्रचंड जन-समर्थन के साथ। झारखण्ड के प्रत्येक वर्ग और समुदाय, विशेषकर हमारी माताओं-बहनों ने जो भरोसा और विश्वास जताया है, अपना भरपूर प्यार और आशीर्वाद दिया है उसके लिए हम हृदय से आभारी हैं, और झारखण्ड की महान जनता का अभिनन्दन करते हैं। आज इस मंच से मैं कहना चाहता हूँ कि आपके भरोसे ने हमारी जिम्मेवारियाँ और बढ़ा दी हैं। जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए हम दोगुने उत्साह से कार्य कर रहे हैं।
हेमन्त ने कहा कि महिला सशक्तिकरण उनकी सरकार की पहली प्राथमिकता रही है और मंईयां सम्मान योजना में बारे में विस्तार से बताया। । वर्तमान में लगभग 56 लाख महिलाएँ इस योजना से लाभान्वित हो रही हैं। इस सम्मान राशि से महिलाएँ कर्ज की जंजीरों को तोड़ कर आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं।
हेमन्त ने विस्तारपूर्वक “झारखण्ड वासियों की उन्नति, खुशहाली और सशक्तिकरण के लिए सरकार द्वारा चलायी जा रही कई योजनाओं” के बारे बताया जैसे कि सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना, सर्वजन पेंशन योजना, अबुआ आवास योजना, हरा राशन कार्ड, बिरसा हरित ग्राम योजना, वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजना, बिरसा सिंचाई कूप संवर्द्धन योजना, मुख्यमंत्री सारथी योजना तथा मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना।
इनके अलावा मुख्यमंत्री शिक्षा प्रोत्साहन योजना, एकलव्य प्रशिक्षण योजना, वाल्मिकी छात्रवृत्ति योजना, मांकी मुण्डा छात्रवृत्ति योजना, मराड॰ गोमके जयपाल सिंह मुण्डा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना, झारखण्ड कृषि ऋण माफी योजना, झारखण्ड राज्य फसल राहत योजना, झारखण्ड राज्य मिलेट मिशन, मुख्यमंत्री अबुआ स्वास्थ्य सुरक्षा योजना, मुख्यमंत्री अस्पताल संचालन एवं रख-रखाव योजना, एयर एम्बुलेंस सेवा, मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना, प्री-मैट्रिक एवं पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना, साईकिल वितरण योजना, झारखण्ड मुख्यमंत्री ग्राम गाड़ी योजना, और गुरूजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के बारे में भी बताया।
उन्होंने कहा शिक्षा की रोशनी से झारखण्ड की तस्वीर और तकदीर बदलने की हमारी कोशिश जारी है। झारखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों में बोली जाने वाली जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं को ध्यान में रखते हुए मातृभाषा आधारित बहुभाषी शिक्षण व्यवस्था विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। राज्य सरकार के द्वारा विभिन्न जिलों के 1041 विद्यालयों में प्रायोगिक स्तर पर मातृभाषा आधारित शिक्षण व्यवस्था लागू की गयी है। राज्य में जनजातीय भाषाओं में मुंडारी, कुड़ुख, हो, खड़िया एवं संताली तथा क्षेत्रीय भाषाओं में बांग्ला एवं उड़िया की पाठ्यपुस्तकों का मुद्रण एवं वितरण किया गया है।
हेमन्त ने बताया राज्य में नियुक्ति की प्रक्रिया को तीव्र करते हुए विभिन्न कोटि के लगभग 48 हजार पदों पर नियुक्ति के लिए अधियाचना झारखण्ड कर्मचारी चयन आयोग को भेज दी गई है, जिसमें से 46 हजार पदों पर नियुक्ति हेतु विज्ञापन प्रकाशित किया जा चुका है। इनमें से 5 हजार से अधिक पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया पूर्ण कर ली गयी है तथा 28 हजार से अधिक पदों पर नियुक्ति की कार्रवाई अंतिम चरण में है। झारखण्ड लोक सेवा आयोग द्वारा 11वीं-13वीं सिविल सेवा परीक्षा की प्रक्रिया भी अंतिम चरणों में है, जल्द ही 342 पदों पर नियुक्ति हेतु परीक्षाफल प्रकाशित किये जायेंगे। हमारी सरकार यह भी सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है कि नियुक्तियों में झारखण्ड के लोगों को उनका उचित हक मिले।
जो युवा स्वरोजगार करना चाहते हैं उन्हें आर्थिक मद्द उपलब्ध करायी जा रही है। झारखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन को रोकना सरकार की प्राथमिकता रही है। पलाश ब्रांड के जरिए सखी मंडल के उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है, महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना के जरिए राज्य के 3 लाख परिवारों को लाह, रेशम उत्पादन, औषधीय पौधे की खेती एवं पशुपालन से जोड़ा गया है, औद्योगिक पार्क, लॉजिस्टिक पार्क तथा लॉजिस्टिक इकाईयों की स्थापना हेतु निजी निवेश को बढ़ावा देने के उद्देश्य से झारखण्ड औद्योगिक पार्क एवं लॉजिस्टिक नीति अधिसूचित की गयी है। नई नीति का मुख्य उद्देश्य राज्य को “लैण्ड लॉक्ड स्टेट” से “लैण्ड लिंक्ड स्टेट” बनाना है।
झारखण्ड की कला, संस्कृति, प्राकृतिक सौंदर्य, समृद्ध विरासत, गीत-संगीत, भाषा एवं जीवन शैली को संरक्षित करने एवं इसे आगे बढ़ाने की दिशा में झारखण्ड आदिवासी महोत्सव का आयोजन सरकार का एक महत्वपूर्ण एवं दूरगामी कदम है। जल-जंगल-जमीन हमारी पहचान है और इस पहचान को बनाये रखते हुए हम विकास की ऊँचाईयों को छूने का प्रयास कर रहे हैं।
हेमन्त ने कहा कि “आज गणतंत्र दिवस के अवसर पर हम ऐसे राष्ट्र और राज्य के निर्माण का संकल्प लें, जिसकी परिकल्पना हमारे संविधान निर्माताओं ने की है। हमारे पूर्वजों के त्याग, बलिदान और समर्पण की गौरव गाथा हमेशा हमारा पथ प्रदर्शन करती रहेगी।”
“जिन्दगी की असली उड़ान अभी बाकी है,
हमारे हौसलों का इम्तिहान अभी बाकी है,
अभी तो नापी है बस मुट्ठी भर जमीन,
अभी तो सारा आसमान बाकी है।”