द इंडियन ट्राइबल
रांची
राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान के शताब्दी समारोह में शामिल मुख्य अथिति राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि उनका झारखंड से विशेष लगाव है। धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की पवित्र धरती झारखण्ड आना उनके लिए तीर्थ यात्रा के समान है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने संस्थान से जुड़ी अपनी यादें साझा करते हुए कहा: मैं अपने राज्यपाल कार्यकाल के दौरान इस संस्थान में आई थी। 2017 में मैंने इस संस्थान द्वारा आयोजित ‘किसान मेला’ का उद्घाटन किया था। उस समय मैंने लाख उत्पादन में अच्छा कार्य कर रहे किसानों को सम्मानित किया था। उससे पहले भी मैं इस संस्थान की लैबोरेट्रीज, रिसर्च फार्म और म्यूजियम में आयी थी। पिछले 100 वर्षों से इस संस्थान ने लाख, रेजिन और गोंद के वैज्ञानिक उत्पादन में सराहनीय कार्य किया है।
हमारे देश के कई राज्यों में लाख कि खेती की जाती है। भारत के कुल उत्पादन का 50 प्रतिशत से अधिक लाह उत्पादन झारखण्ड में होता है। भारत में लाख का उत्पादन मुख्य रूप से जनजातीय समाज द्वारा किया जाता है। यह जनजातीय समाज की आय का एक महत्वपूर्ण साधन है।
मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि इस संस्थान ने लाख, नैचुरल रेजिंस एवं गोंद के अनुसंधान एवं विकास के साथ-साथ इन उत्पादों के व्यावसायिक विकास के लिए कदम उठाए हैं। स्मॉल स्केल लाख प्रोसेसिंग यूनिट एवं इंटीग्रेटेड लाख प्रोसेसिंग यूनिट का विकास, लाख आधारित प्राकृतिक पेंट और कॉस्मेटिक उत्पादों का विकास; फलों, सब्ज़ियों और मसालों की शेल्फ-लाइफ बढ़ाने के लिए लाख आधारित कोटिंग का विकास; ये सभी प्रयास व्यावसायिक विकास के अच्छे उदाहरण हैं। ये सभी कदम जनजातीय भाइयों और बहनों के जीवन-स्तर को सुधारने और उनके समावेशी विकास में मदद करेंगे।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा आज का दौर डिसरप्टिव टेक्नोलॉजी (Disruptive Technology) का है। हमें इन तकनीकों का लाभ उठाना है। साथ ही, इनके दुष्प्रभावों से भी बचना है। यह खुशी की बात है कि इस संस्थान में ऑटोमेशन एंड प्लांट इंजीनियरिंग डिविजन की स्थापना की गई है। यह डिविजन रोबोटिक्स, इंटरनेट, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस इनेबल्ड इक्वीपमेंट के विकास पर केंद्रित है। इस डिविजन की स्थापना आपकी दूरदर्शी सोच का प्रमाण है।
अभी भी ऐसे अनेक क्षेत्र हैं जिनमें हम और आगे जा सकते हैं। उदाहरण के लिए फर्मास्युटिकल्स और कॉस्मेटिक्स इंडस्ट्रीज में उच्च स्तर के लाख की मांग है। यदि भारतीय लाख की गुणवत्ता, सप्लाई चेन और मार्केटिंग में सुधार किया जाए तो, हमारे किसान देश-विदेश में इसकी आपूर्ति कर पाएंगे और उन्हें बेहतर मूल्य मिलेगा।
कृषि को लाभदायक उद्यम बनाने के साथसाथ, 21वीं सदी में कृषि के समक्ष तीन अन्य बडी चुनौतियां हैं- खाद्य और पोषण सुरक्षा को बनाए रखना, संसाधनों का सस्टेनेबल उपयोग तथा जलवायु परिवर्तन। सेकेंडरी एग्रीकल्चर से जुडी गतिविधियां इन चुनौतियों का सामना करने में मदद कर सकती हैं।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा सेकेंडरी एग्रीकल्चर के अंतर्गत प्राथमिक कृषि उत्पाद के वैल्यू एडिशन के साथ ही मधुमक्खी पालन, मुगी पालन, कृषि पर्यटन जैसी कृषि से जुडी अन्य गतिविधियां भी आती हैं। सेकेंडरी एग्रीकल्चर के विकास से ग्रामीण क्षेत्रों में औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया जा सकता है। यदि रोजगार के अवसर ग्रामीण क्षेत्रों में ही उपलब्ध होंगे तो लोग आर्थिक कारणों से गांव नहीं छोडेंगे। सेकेंडरी एग्रीकल्चर किसानों की आय बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण तरीका है।
सेकेंडरी एग्रीकल्चर गतिविधियों के माध्यम से अपशिष्ट पदाथों, यानी वेस्ट-मैनेजमेंट का भी सही प्रयोग किया जा सकता है। उनको प्रसंस्कृत करके उपयोगी तथा मूल्यवान वस्तुएं बनाई जा सकती हैं। इससे पर्यावरण का संरक्षण होगा। साथ ही, किसानों की आय भी बढ़ेगी। सेकेंडरी एग्रीकल्चर, वेस्ट टू वेल्थ का एक अच्छा उदाहरण है।
सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने अपने संबोधन में कहा कि झारखंड देश का 50 से 55 प्रतिशत लाह उत्पादन करता है। लेकिन पहले हम 70 प्रतिशत लाह का उत्पादन करते थे। आज इस लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं । बस इसके लिए किसानों को लाह की खेती से जोड़ने के लिए प्रोत्साहन और सुविधा उपलब्ध हो। इस कड़ी में हमारी सरकार लाह को कृषि का दर्जा दे चुकी है, ताकि लाह का उत्पादन, अनुसंधान, प्रसंस्करण, उचित मूल्य और बाजार उपलब्ध हो सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज दीदियों को “लखपति दीदी” बनाने की बात हो रही है। लेकिन मेरा कहना है कि “लखपति दीदी” क्यों ? वे “करोड़पति दीदी” क्यों नहीं बन सकती हैं। दीदियों में “करोड़पति दीदी” बनने की पूरी क्षमता और सामर्थ्य है। सिर्फ इसके लिए बेहतर नीति निर्धारण की जरूरत है। लखपति दीदी योजना प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांछी योजनाओं में से एक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के इस भौतिकवादी युग में किसानों को कृषि से जोड़े रखना, किसानों की आय में बढ़ोतरी, उन्हें वैकल्पिक खेती के साथ पशुपालन को बढ़ावा और प्रोत्साहन देने के लिए मजबूती से कदम उठाने की जरूरत है। किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का हम संकल्प लें।
हेमन्त ने कहा कि राष्ट्रीय कृषि उच्चतर संस्करण संस्थान, नामकुम रांची का सौ वर्ष हो रहा है। इन वर्षों में हालात कुछ ऐसे हुए कि बड़े पैमाने पर किसान खेतिहर मजदूर बनते चले गए। किसानों को खेतिहर मजदूर बनने से बचाने की आज आवश्यकता है। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार को गंभीरता से विचार करने की जरूरत है ताकि किसानों के हित में बेहतर नीति निर्धारण के साथ कार्य हो सके।
मुख्यमंत्री ने कहा आज पर्यावरण में बदलाव की वजह से मौसम में भी काफी बदलाव देखने को मिल रहा है । कभी कम बारिश होती है तो कभी ज्यादा तो कभी सुखाड़ की स्थिति पैदा हो जाती है। इसका सबसे ज्यादा प्रभावित किसान होते हैं। उनकी परंपरागत खेती पर इसका सीधा असर दिखाता है । ऐसे में किसानों को आज वैकल्पिक खेती के लिए राज्य सरकार लगातार प्रोत्साहित कर रही है। इस दिशा में हमारी सरकार लगातार कार्य करती आ रही है, ताकि किसानों को हम आगे ले जा सकें।