दंतेवाड़ा
सल्फी पेड़ के रस से तैयार होने वाला स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक पेय होता है। यह विशेष तौर पर खजूर प्रजाति के वृक्ष से निकाला जाता है।
सल्फी के पेड़ पर चढऩा कोई मजाक बात नहीं है। ये पेड़ बहुत ऊंचे होते हैं और इन पर चढऩे के लिए व्यक्ति में विशेष कौशल होना चाहिए। बस्तर उपमंडल के दंतेवाड़ा जिले के मसौरी गांव में महिलाओं को सल्फी के पेड़ पर चढऩे की अनुमति नहीं होती। ऐसी आम धारणा है कि सल्फी के जिस पेड़ पर कोई महिला चढ़ जाती है, तो वह सूख जाता है या उस पर फल नहीं लगता।
लेकिन दंतेवाड़ा वन विभाग के सीआर सोरी ऐसी धारणा को कोरी अफवाह बताते हैं। वह कहते हैं कि इसमें कोई सच्चाई नहीं है कि महिलाओं को पेड़ पर चढऩे की मनाही है, क्योंकि उनकी मां भी सल्फी के पेड़ पर चढ़ती थीं। सोरी स्वयं भी आदिवासी हैं।
सीआर सोरी ने The Indian Tribal को बताया कि लोग रस के लिए ये पेड़ उगाते हैं। पहले तो ऐसा होता था कि यदि किसी परिवार के पास पांच पेड़ हैं, तो वह बेटी को भी शादी के बाद उपहार स्वरूप एक पेड़ दे देता था। यानी वह पेड़ उसी बेटी के नाम हो जाता था। वह जब भी ससुराल से मायके आती, तो उसके रस का उपयोग कर सकती थी।
मसौरी गांव के रहने वाले शिवराम मौर्य कहते हैं कि रस उत्पादन के अलावा सल्फी के पेड़ का कोई दूसरा उपयोग नहीं होता। आदिवासी क्षेत्रों में लगभग हर परिवार सल्फी के पेड़ उगाता है। यह पेड़ पांच से छह साल के भीतर तैयार होकर रस देना शुरू कर देता है। हालांकि कोई-कोई पेड़ 10 साल में भी परिपक्व होता है।
मौर्य बताते हैं कि हर कोई सल्फी के पेड़ पर नहीं चढ़ पाता, क्योंकि यह पेड़ सीधा और बहुत ऊंचा होता है। जिसे अभ्यास होता है, वही इस पर बार-बार चढ़ सकता है। दरअसल, इसके लिए व्यक्ति में साहस होना चाहिए, क्योंकि कभी-कभी पेड़ पर चढऩे के बाद सिर घूम जाता है।
रस निकालने के लिए पेड़ के ऊपर एक बर्तन बांध दिया जाता है और पेड़ में हल्का कट लगाकर बर्तन का मुंह उसकी तरफ कर दिया जाता है। इससे पेड़ से निकलने वाला सारा रस बर्तन में एकत्र होता रहता है। इस प्रकार दिन में तीन बार रस निकाला जा सकता है। यह रस सफेद रंग का होता है। जब बर्तन पूरा भर जाता है तो इसके ऊपर मैल एकत्र हो जाता है, जिसे छानकर हटा देते हैं और स्वादिष्ट सल्फी गिलास में भर कर मेहमानों को परोसते हैं।
सल्फी का जूस ताजा-ताजा पीना बेहतर होता है। वैसे इसे जितनी देर धूप में रखा जाए, यह उतना अधिक नशीला होता जाता है, लेकिन ताजी सल्फी का स्वाद बिल्कुल नारियल पानी जैसा होता है।