एक बेहद लोकप्रिय मिठाई है पीठा। यह बंगाल सहित पूर्वोत्तर के कई राज्यों की प्रसिद्ध मिठाई है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। पूजा और त्योहारों में घर-घर में पीठा बनाया जाता है। आम तौर पर चावल के आटे की छोटी-छोटी लोइयां बेल कर उनमें खोया, पनीर या कसा हुआ नारियल मिश्रित कर रोल बनाए जाते हैं और फिर उन्हें उबाला अथवा तला जाता है।
पर आदिवासी-बहुल जंगलमहल में पीठा अलग तरह से तैयार किया जाता है। लेकिन यह भी उतनी ही स्वादिष्ट होती है। बांसपहाड़ी के व्यापारी साबुज सोरेन इस पीठे की बात पर पुराने दिनों को याद कर भावुक हो जाते हैं। वो बताते हैं कि उनकी दादी द्वारा बनाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का स्वाद ही कुछ और होता था। उनकी दादी ककी तरह ही गाँव के बहुत सारे और भी बुज़ुर्ग पकवान बनाने में माहिर हुआ करते थे। वो कहते हैं आज कल लोगों के पास न तो उतना समय है न ही वो हुनर है। पर यह पीठा बनाना कठिन नहीं है।
कीमे के मिश्रण को चावल के आटे के साथ गूंथकर फिर तला जाता है
सोरेन इसे तैयार करने की विधि भी The Indian Tribal को बताते हैं। सोरेन बताते हैं कि चिकन, मटन या पोर्क को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें, फिर इन्हें मैरीनेट करें और तेल में तब तक अच्छे से तलें जब तक ये हल्के रसीले न हो जाएं। इसके बाद इसे चावल के आटे में लपेटकर गूंथ लें और फिर तेल में तल लें । इस तरह तैयार हो गई जेल पीठा मिठाई।
सोरेन यह भी स्पष्ट करते हैं कि कौन सा पीठा कितना पसंद किया जाता है। हल्की मुस्कराहट के साथ वह बताते हैं कि शुकरी यानी सूअर के मांस का पीठा ज्यादा नरम होता है और इसे मटन के पीठे से ज्यादा अच्छा माना जाता है, जबकि सिम पर पके चिकन पीठा को आम तौर पर सब खाते हैं। यह किसी भी आदिवासी त्योहार या अन्य विशेष अवसर की शान बढ़ाने के लिए काफी होता है।