• About
  • Contact
  • Sitemap
  • Gallery
No Result
View All Result
Vacancies
Friday, May 9, 2025
The Indian Tribal
  • Home
  • Achievers
    • उपलब्धिकर्ता
  • Cuisine
    • खान पान
  • Health
    • स्वास्थ्य
  • Legal
    • कानूनी
  • Music
    • संगीत
  • News
    • Updates
    • खबरें
  • Sports
    • खेलकूद
  • Variety
    • विविध
  • हिंदी
    • All
    • आदिवासी
    • उपलब्धिकर्ता
    • कला और संस्कृति
    • कानूनी
    • खबरें
    • खान पान
    • खेलकूद
    • जनजाति
    • भारत
    • विविध
    • संगीत
    • संस्कृति
    • स्वास्थ्य
    झारखंड सरकार के वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने सोमवार को 1 लाख 45 हजार 400 करोड़ रुपये का वार्षिक बजट प्रस्तुत किया।

    झारखंड में बनेगा जनजातीय विश्वविद्यालय 

    The Indian Tribal

    सौर ऊर्जा ने भगाया अंधेरा, झिलमिला उठे आदिवासियों के भविष्य के सपने

    The Indian Tribal

    जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के गौरव को चित्रों में उकेरने की अनूठी पहल

    The Indian Tribal

    झारखण्ड के महान विभूतियों की संघर्ष गाथा हमारे लिए प्रेरणास्रोत हैं: मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन

    The Indian Tribal

    खरसावां शहीद स्मारक को विश्व पटल पर एक अलग पहचान दिलाएंगे: हेमन्त सोरेन

    Bastar Touris,

    इंजीनियरिंग ग्रेजुएट ने पर्यटन गाइड बन आदिवासी जीवन को दुनिया के समक्ष लाने का बीड़ा उठाया है

    Surrendered Naxalites - The Indian Tribal

    कभी थी पुलिस उनके पीछे, आज पुलिस बन वे नक्सलियों के पीछे

    The Indian Tribal

    मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के हस्तक्षेप पर 17 साल बाद आदिम जनजाति युवक को मिला न्याय

  • Gallery
    • Videos
  • Latest News
The Indian Tribal
  • Home
  • Achievers
    • उपलब्धिकर्ता
  • Cuisine
    • खान पान
  • Health
    • स्वास्थ्य
  • Legal
    • कानूनी
  • Music
    • संगीत
  • News
    • Updates
    • खबरें
  • Sports
    • खेलकूद
  • Variety
    • विविध
  • हिंदी
    • All
    • आदिवासी
    • उपलब्धिकर्ता
    • कला और संस्कृति
    • कानूनी
    • खबरें
    • खान पान
    • खेलकूद
    • जनजाति
    • भारत
    • विविध
    • संगीत
    • संस्कृति
    • स्वास्थ्य
    झारखंड सरकार के वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने सोमवार को 1 लाख 45 हजार 400 करोड़ रुपये का वार्षिक बजट प्रस्तुत किया।

    झारखंड में बनेगा जनजातीय विश्वविद्यालय 

    The Indian Tribal

    सौर ऊर्जा ने भगाया अंधेरा, झिलमिला उठे आदिवासियों के भविष्य के सपने

    The Indian Tribal

    जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के गौरव को चित्रों में उकेरने की अनूठी पहल

    The Indian Tribal

    झारखण्ड के महान विभूतियों की संघर्ष गाथा हमारे लिए प्रेरणास्रोत हैं: मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन

    The Indian Tribal

    खरसावां शहीद स्मारक को विश्व पटल पर एक अलग पहचान दिलाएंगे: हेमन्त सोरेन

    Bastar Touris,

    इंजीनियरिंग ग्रेजुएट ने पर्यटन गाइड बन आदिवासी जीवन को दुनिया के समक्ष लाने का बीड़ा उठाया है

    Surrendered Naxalites - The Indian Tribal

    कभी थी पुलिस उनके पीछे, आज पुलिस बन वे नक्सलियों के पीछे

    The Indian Tribal

    मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के हस्तक्षेप पर 17 साल बाद आदिम जनजाति युवक को मिला न्याय

  • Gallery
    • Videos
  • Latest News
No Result
View All Result
The Indian Tribal
No Result
View All Result
  • Home
  • Achievers
  • Cuisine
  • Health
  • Legal
  • Music
  • News
  • Sports
  • Variety
  • हिंदी
  • Gallery
  • Latest News
Vacancies
Home » द इंडियन ट्राइबल / हिंदी » विविध » दुर्गम क्षेत्रों में जीवन डोर बनी बाइक और वैन एम्बुलेंस

दुर्गम क्षेत्रों में जीवन डोर बनी बाइक और वैन एम्बुलेंस

ओडिशा के कंधमाल जिले में 650 से अधिक गांवों में गर्भवती महिलाओं और उनके परिवारों विशेषकर आदिवासियों के लिए अनोखी बाइक एम्बुलेंस और डिलीवरी वैन सेवा वरदान साबित हो रही है। कैसे, बता रहे हैं निरोज रंजन मिश्रा

May 19, 2023
बाइक एंबुलेंस में मरीज

बाइक एंबुलेंस में मरीज

कटक/भुवनेश्वर।

कडक़ड़ाती सर्दी की रात हो या चिलचिलाती गर्मी की दोपहर अथवा बरसात का चिपचिपा मौसम, किसी भी समय और कहीं से भी कॉल आए, प्रसव पीड़ा से कराहती गर्भवती महिला को निकटतम स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने के लिए फौरन हाजिर हो जाती है बाइक एम्बुलेंस। यदि गर्भवती अस्पताल तक जाने की स्थिति में नहीं होती और बच्चे को वहीं जन्म देना पड़े तो डिलीवरी वैन भी एक कॉल पर तैयार मिलती है। चिकित्सा सुविधाओं से लैस इस वैन में बेफिक्र होकर प्रसव की प्रक्रिया पूरी कराई जाती है।

ओडिशा के कंधमाल जिले के कोंध जनजाति बहुल 11 ब्लॉकों के लगभग 668 ऐसे गांवों में इस समय यह बाइक और वैन सेवा किसी वरदान की तरह है,  जहां आसानी से नहीं पहुंचा जा सकता। पूरे इलाके में पांच बाइक और छह डिलीवरी वैन कहीं से भी इमरजेंसी कॉल आने के इंतजार में घुर्र-घुर्र करती तैयार रहती हैं।

जिला स्वास्थ्य समिति (जेडएसएस) की ओर से शुरू की गई यह बाइक एम्बुलेंस सेवा क्षेत्र में इतनी फायदेमंद हो रही है कि इसने अपनी बेहतर सेवाओं के लिए वर्ष 2020 में प्रतिष्ठित स्कोच अवार्ड भी जीता है। उससे अगले साल यानी 2021 में नीति आयोग ने भी इस बाइक और डिलीवरी वैन सेवा की सराहना की। यहां तक कि मातृत्व स्वास्थ्य के लिए इस योजना पर राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) ने भी अपना भरोसा जताया है। एनएफएचएस-4 के अनुसार जहां 2015-16 में संस्थागत प्रसव 72.7 प्रतिशत था, वहीं 2019-20 में एनएफएचएस-5 के मुताबिक यह बढक़र 93.9 प्रतिशत हो गया।

हालांकि बाइक एम्बुलेंस सेवा मुख्य रूप से गर्भवती महिलाओं को सुविधा देने के उद्देश्य से शुरू की गई थी, लेकिन यह अन्य बीमार लोगों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाने का काम भी बखूबी कर रही है। 

A Delivery Van For Expectant Mothers
गर्भवती माताओं के लिए डिलीवरी वैन

सीडीएमओ और जेडएसएस के संयोजक डॉ. एमके उपाध्याय ने The Indian Tribal को बताया कि भले बाइक एम्बुलेंस से अन्य मरीजों को भी सेवा दी जा रही है, लेकिन डिलीवरी वैन केवल महिलाओं के प्रसव के लिए ही रखी गई है। उसे अन्य मरीजों को अस्पताल लाने या ले जाने के इस्तेमाल में नहीं लाया जाता। उन्होंने बताया कि चिकित्सा सेवाओं से लैस इस वैन में दो प्रशिक्षित नर्स और दो चालक हमेशा तैनात रहते हैं।

सरडिंगिया में बाइक एम्बुलेंस चालक गरुड़ कहते हैं कि कभी-कभी ऐसा होता है कि दुर्गम इलाकों में वैन के लिए रास्ता बेहतर नहीं होता तो वहां बाइक एम्बुलेंस भेजी जाती है। वैन को ऐसी जगह तैनात किया जाता है जहां तक बाइक से मरीज को लाया जा सके। बाइक एम्बुलेंस मरीज को दूरदराज के क्षेत्र से मुख्य सडक़ या रास्ते तक लाती है और यहां इंतजार कर रही वैन में बैठाकर उसे अस्पताल ले जाया जाता है। 

कंधमाल जिले में बाइक एम्बुलेंस सेवा इतनी चुस्त-दुरुस्त है कि बेहतर सेवाओं के लिए 2019 में 30 जिलों की सूची में कंधमाल शीर्ष पर रहा। बाइक एम्बुलेंस सेवा पहली बार 2017 में दारिंगबाड़ी ब्लॉक के केटिंगा और तुमुदीबांध ब्लॉक के लंकागढ़ में पायलट परियोजना के रूप में शुरू की गई थी। आदिवासी क्षेत्रों में सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने पर इस परियोजना को तीन अन्य ब्लॉकों में शुरू किया गया। उसी वर्ष छह ब्लॉकों में एम्बुलेंस सेवा नेटवर्क को मजबूती देने और मरीजों को त्वरित इलाज की सुविधा मुहैया कराने के लिए डिलीवरी वैन भी सडक़ों पर उतारी गईं।

डिप्टी मैनेजर (आरसीएच) आसीस मोहंती कहते हैं कि सरकार ने एम्बुलेंस नेटवर्क को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए सालाना 75 लाख रुपये का इंतजाम किया। इस वक्त यह मोटर बाइक एम्बुलेंस आदिवासी बहुल 12 जिलों में काम कर रही है। 

जेडएसएस की तरफ से एक वैन और दो बाइक एम्बुलेंस संचालित करने वाले एनजीओ जागृति के परियोजना समन्वयक कैलाश बेहुरा कहते हैं कि यह सब इतना आसान नहीं था। आदिवासियों को इस सेवा का लाभ उठाने के लिए समझाना बहुत मुश्किल काम रहा। बाइक और वैन एम्बुलेंस का फायदा बताने के लिए उन्होंने गांव-गांव जाकर हाटों में बड़ी सभाएं की और उनमें ऐलान करवाया। जगह-जगह पोस्टर चिपकाए और लोगों में भी वितरित किए। गांव के गणमान्य लोगों को इसका सकारात्मक पक्ष समझाया। उन्होंने आगे आम लोगों में संदेश पहुंचाया। 

A Mother With Her New Born Delievered In A Delivery Van
A Mother With Her New Born Delivered In A Delivery Van

एक अन्य एनजीओ स्वाति के सचिव हरिशंकर राउत The Indian Tribal को बताते हैं कि जब मरीज की हालत खराब होती है और संपर्क का कोई साधन नहीं होता या मोबाइल वगैरह काम नहीं करता, तो गांव की आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता आगे आती हैं। वे अपने स्तर पर भाग-दौड़ कर गर्भवती महिलाओं को लाने ले जाने के लिए बाइक एम्बुलेंस या डिलीवरी वैन की व्यवस्था कराती हैं। कभी-कभी ऐसा होता है कि कोई व्यक्ति संदेश लेकर जाता, वह आगे अस्पताल तक सूचना पहुंचाने के लिए किसी अन्य व्यक्ति से कहता। इस तरह दुर्गम क्षेत्र से अस्पताल या बाइक और वैन एम्बुलेंस तक खबर पहुंचती और फौरन ही संबंधित स्थान पर सेवा पहुंचायी जाती है। 

स्वाति एनजीओ एक बाइक एम्बुलेंस और चार डिलीवरी वैन संचालित करती है, जबकि शांति मैत्रयी संगठन के पास दो बाइक एम्बुलेंस हैं। एनजीओ विकल्प विकास एक डिलीवरी वैन संचालित करता है। 

दावा किया जा रहा है कि इस एम्बुलेंस नेटवर्क की वजह से क्षेत्र में मातृ मृत्यु दर में 65 प्रतिशत तक की कमी आ गई है। वैसे इतना तो है ही, कि ये सेवाएं अब आदिवासियों के लिए स्वास्थ्य व्यवस्था का अनिवार्य हिस्सा हो गई हैं। मिंगुन पडार गांव की निरदा कहती हैं कि इस एम्बुलेंस सेवा की वजह से ही मेरी और मेरे बच्चे की जान बच पायी। कई अन्य महिलाएं भी इसी तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त करती हैं। 

राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस क्या है?

राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस का उद्देश्य गर्भावस्था से पहले, गर्भावस्था के दौरान और प्रसव के बाद महिलाओं को आवश्यक सेवाओं के बारे में जानकारी देना और उन तक आसान पहुंच के बारे में जागरूक करना है। यह व्हाइट रिबन एलायंस (डब्ल्यूआरएआई) की एक पहल है। इसका 1,800 संगठनों के साथ गठजोड़ है। देश में गर्भवती महिलाओं की मदद एवं जागरूकता के लिए डब्ल्यूआरएआई की अपील पर तत्काल कार्रवाई करते हुए केंद्र सरकार 2003 में 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के रूप में नामित किया। विशेष यह कि यह दिन महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी की जयंती भी है।

आंकड़ों की नजर में

1. भारत सरकार के अनुसार मातृ मृत्यु अनुपात में 2014-16 में 130 के मुकाबले 2018-20 में 97 प्रति लाख की उल्लेखनीय गिरावट आई है।
2. मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) को प्रति 100,000 जीवित बच्चों पर एक निश्चित समय अवधि के दौरान मातृ मृत्यु की संख्या के रूप में परिभाषित किया गया है।
3. नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार देश में एमएमआर में 2014-2016 में 130, 2015-17 में 122, 2016-18 में 113, 2017-19 में 103 और 2018-20 में 97 की लगातार कमी देखी गई है।
4. भारत ने 100 प्रति एक लाख से कम जीवित बच्चों के एमएमआर के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एनएचपी) के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है। इसका लक्ष्य 2030 तक 70/लाख जीवित बच्चों से कम एमएमआर के एसडीजी लक्ष्य को प्राप्त करना है।
5. एसडीजी लक्ष्य हासिल करने वाले राज्यों की संख्या अब छह से बढक़र आठ हो गई है। इनमें केरल (19),  उसके बाद महाराष्ट्र (33), तेलंगाना (43),  आंध्र प्रदेश (45), तमिलनाडु (54),  झारखंड (56),  गुजरात (57)  और अंत में कर्नाटक (69)  का नंबर आता है।
Root Woot | Online Puja Samagri Root Woot | Online Puja Samagri Root Woot | Online Puja Samagri

In Numbers

49.4 %
Female Literacy rate of Scheduled Tribes

Web Stories

Bastar’s Famed Tuma Craft On Verge Of Extinction
Bastar’s Famed Tuma Craft On Verge Of Extinction
By The Indian Tribal
7 Tribal-linked Odisha Products Get GI Tag
7 Tribal-linked Odisha Products Get GI Tag
By The Indian Tribal
Traditional Attire Of Pawara Tribeswomen Losing Its Charm
Traditional Attire Of Pawara Tribeswomen Losing Its Charm
By The Indian Tribal
Tuma Art Going Extinct
Tuma Art Going Extinct
By The Indian Tribal

Update

Two Years Of Ethnic Violence In Manipur, Normalcy Still Elusive

It was on May 3 in 2023 that ethnic clashes broke out between the Meteis and the Kukis. They have since left more than 260 people killed, 1,500 injured, and over 70,000 people displaced. A shutdown called by Meitei group Coordinating Committee on Manipur Integrity (COCOMI) on Saturday (May 3) to mark two years of the ethnic strife in the northeastern State affected normal lives in the Meitei-controlled Imphal Valley. Life in the Kuki-dominated hill districts was also affected due to the shutdown by Zomi Students Federation (ZSF) and the Kuki Students Organisation (KSO).
Mahua flowers, The Indian Tribal
Adivasi

Of Summers, Mahua And Tribals

by The Indian Tribal
April 20, 2025

From juicy flowers bursting with flavours to drying and ending up as an intoxicating brew in bottles as liquor, Mahua’s story is deep, beyond ornamentation and intrinsic to tribal culture, writes Deepanwita Gita Niyogi

The Indian Tribal

Once Much Sought-After, Santali Jatra Troupes Gasping For Breath Now

March 19, 2025
The Indian Tribal

Tribal Woman Achiever: Youngest Minister In Hemant Soren Government

March 8, 2025
झारखंड सरकार के वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने सोमवार को 1 लाख 45 हजार 400 करोड़ रुपये का वार्षिक बजट प्रस्तुत किया।

झारखंड में बनेगा जनजातीय विश्वविद्यालय 

March 3, 2025
The Indian Tribal

सौर ऊर्जा ने भगाया अंधेरा, झिलमिला उठे आदिवासियों के भविष्य के सपने

February 22, 2025
The Indian Tribal

Sexagenarian Tribal Devotes Life To Rod Puppetry

February 16, 2025
Previous Post

क्या 2030 तक मलेरिया मुक्त हो जाएंगे आदिवासी क्षेत्र?

Next Post

इस थिएटर ग्रुप ने देश में बजाया आदिवासी नाटकों का डंका

Top Stories

The Indian Tribal
Adivasi

Reluctant Tribals Try Their Hands On Strawberry Farming In Odisha

April 26, 2025
Mahua flowers, The Indian Tribal
Adivasi

Of Summers, Mahua And Tribals

April 20, 2025
The Indian Tribal
Achievers

Once Much Sought-After, Santali Jatra Troupes Gasping For Breath Now

March 19, 2025
Load More
Next Post
The Indian Tribal

इस थिएटर ग्रुप ने देश में बजाया आदिवासी नाटकों का डंका

Khunti all set to welcome president Droupadi Murmu

Munda’s Khunti Big Beneficiary Of Tribal Welfare Schemes In Jharkhand

  • About Us
  • Contact
  • Team
  • Redressal
  • Copyright Policy
  • Privacy Policy And Terms Of Use
  • Disclaimer
  • Sitemap

  • Achievers
  • Cuisine
  • Health
  • Hindi Featured
  • India
  • News
  • Legal
  • Music
  • Sports
  • Trending
  • Chhattisgarh
  • Delhi
  • Gujarat
  • Jammu & Kashmir
  • Jharkhand
  • Kerala
  • Madhya Pradesh
  • Maharashtra
  • North East
  • Arunachal Pradesh
  • Assam
  • Manipur
  • Meghalaya
  • Mizoram
  • Nagaland
  • Sikkim
  • Tripura
  • Odisha
  • Telangana
  • West Bengal
  • Political News
  • Variety
  • Art & Culture
  • Entertainment
  • Adivasi
  • Tribal News
  • Scheduled Tribes
  • हिंदी
  • उपलब्धिकर्ता
  • कानूनी
  • खान पान
  • खेलकूद
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • संगीत
  • विविध
  • कला और संस्कृति
  • खबरें
  • असम की ताज़ा ख़बरें
  • अरुणाचल प्रदेश की ताज़ा ख़बरें
  • ओडिशा की ताज़ा ख़बरें
  • केरल की ताज़ा ख़बरें
  • गुजरात की ताज़ा ख़बरें
  • छत्तीसगढ़
  • जम्मू और कश्मीर की ताज़ा ख़बरें
  • झारखंड न्यूज़
  • तेलंगाना की ताज़ा ख़बरें
  • दिल्ली
  • नॉर्थईस्ट की ताज़ा ख़बरें
  • पश्चिम बंगाल की ताज़ा ख़बरें
  • मध्य प्रदेश की ताज़ा ख़बरें
  • महाराष्ट्र की ताज़ा ख़बरें
  • त्रिपुरा की ताज़ा ख़बरें
  • नागालैंड की ताज़ा ख़बरें
  • मणिपुर की ताज़ा ख़बरें
  • मिजोरम की ताज़ा ख़बरें
  • मेघालय की ताज़ा ख़बरें
  • सिक्किम की ताज़ा ख़बरें
  • राजस्थान की ताज़ा ख़बरें

About Us

The Indian Tribal is India’s first bilingual (English & Hindi) digital journalistic venture dedicated exclusively to the Scheduled Tribes. The ambitious, game-changer initiative is brought to you by Madtri Ventures Pvt Ltd (www.madtri.com). From the North East to Gujarat, from Kerala to Jammu and Kashmir — our seasoned journalists bring to the fore life stories from the backyards of the tribal, indigenous communities comprising 10.45 crore members and constituting 8.6 percent of India’s population as per Census 2011. Unsung Adivasi achievers, their lip-smacking cuisines, ancient medicinal systems, centuries-old unique games and sports, ageless arts and crafts, timeless music and traditional musical instruments, we cover the Scheduled Tribes community like never-before, of course, without losing sight of the ailments, shortcomings and negatives like domestic abuse, alcoholism and malnourishment among others plaguing them. Know the unknown, lesser-known tribal life as we bring reader-engaging stories of Adivasis of India.

Follow Us

All Rights Reserved

© 2024 Madtri Ventures [P] Ltd.

No Result
View All Result
  • Home
  • Achievers
  • Cuisine
  • Health
  • Health
  • Legal
  • Music
  • News
  • Sports
  • Variety
  • हिंदी
    • उपलब्धिकर्ता
    • खान पान
    • कानूनी
    • खेलकूद
    • खेलकूद
    • संगीत
    • संगीत
    • स्वास्थ्य
    • स्वास्थ्य
    • विविध
  • Gallery
  • Videos

© 2024 Madtri Ventures [P] Ltd.

Bastar’s Famed Tuma Craft On Verge Of Extinction 7 Tribal-linked Odisha Products Get GI Tag Traditional Attire Of Pawara Tribeswomen Losing Its Charm Tuma Art Going Extinct