गुमला/रांची
गुमला-लोहरदगा रोड से लगभग 14 किमी दूर स्थित गुमला जिले के पालकोट ब्लॉक में घने जंगलों और पहाडिय़ों के बीच बसा है अंजन गांव। हाल के दिनों तक इस इलाके को वाम उग्रवादी संगठनों के लिए सुरक्षित पनाहगाह माना जाता था। बाहरी लोगों की बात तो छोडि़ए, स्थानीय पुलिस भी इस इलाके में दिन में भी घुसने की हिम्मत नहीं जुटा पाती थी।
लोकप्रिय मान्यता है कि भगवान हनुमान का जन्म गुमला जिले के अंजन गांव में ही हुआ था। कहा जाता है कि इस बारे में एक किशोरवय मुंडा चरवाहे को सबसे पहले पता चला और एक ब्रिटिश तहसीलदार ने यहां अंजना देवी मंदिर बनाने में मदद की।
रातू जागीर के तत्कालीन ड्यूक या कहें जमींदार ने इस मंदिर के लिए जमीन ही नहीं, पैसा और अन्य जरूरी सामान भी दिया था।
जब से नक्सलवाद कम हुआ है, इस मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले भक्तों की संख्या हर रोज बढ़ रही है। प्रतिदिन दूर-दराज के इलाकों से यहां सैकड़ों श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आते हैं। बैगा या मुंडा पाहन (पुजारी) श्रद्धालुओं को अनुष्ठान करने में मदद करते हैं। मंदिर के आसपास के क्षेत्र में मुंडा और उरांव जनजातियां अधिक रहती हैं। इन्हीं जनजातियों से जुड़े लोग पिछले कई दशकों से मंदिर का प्रबंधन संभालते आ रहे हैं।
भगवान हनुमान से जुड़ी एक लोकप्रिय मान्यता के बारे में लेखक संतोष किडो ने The Indian Tribal को बताया कि यहां जंगल में लोहरा जनजाति का एक चरवाहा अपने मवेशियों को चरा रहा था। खाना खाने और हल्की नींद लेने के बाद उसने यहां चट्टान से घिरी गुफा के पास जैसे ही अपनी बांसुरी बजाई तो अचानक गुफा के अंदर से एक सांप जैसा जीव बाहर निकला। देखते ही देखते इस सांप जैसे जीव ने फिर बंदर का रूप धारण कर लिया।
यह देख चरवाहा डर गया और भागकर गांव वालों को इस बारे में जानकारी दी। जल्दी ही इस बारे में बिलियम साहब को बताया गया। ग्रामीण विलियम को बिलियम साहब कह कर पुकारते थे। हालांकि ब्रिटिश अधिकारी को इस घटना पर विश्वास नहीं हुआ, फिर भी ग्रामीणों की हलचल और कौतूहलवश वह फौरन ही जांच के लिए मौके पर पहुंच गए। यहां उन्हें कुछ भी असामान्य नहीं लगा।
गुफा में केवल भगवान हनुमान के पिता पवन देव (वायु देवता) ही अंदर जा सकते थे। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव गुफा के बाहर बैठकर अंजना देवी के कानों में उपदेश देते थे।
लेकिन, एक घटना और हुई। जब विलियम जांच-पड़ताल के बाद घटना स्थल से अपने घर लौटे तो उनकी चाबियों का गुच्छा गायब था। अपनी चाबियों की तलाश में विलियम वापस उसी स्थान पर गए। जैसे ही उन्होंने वहां अपनी चाबियों को खोजना शुरू किया, तो उन्हें भी वही सांप और बंदर के रूप में बदलता जीव दिखाई दिया। इससे वह घबरा गए और फौरन ही अपने घर लौट आए। घर आकर जब उन्होंने अपनी जेब में हाथ डाला तो चाबियां मिल गईं। उसी समय से सांप बने बंदर को हनुमान का रूप माना जाने लगा।
एक अन्य मान्यता के अनुसार भगवान हनुमान की माता अंजना देवी 1500 फीट की लंबी-चौड़ी गुफा में रहा करती थीं। यह गुफा चारों ओर से बड़े करीने से ढकी हुई थी। इस गुफा में केवल भगवान हनुमान के पिता पवन देव (वायु देवता) ही अंदर जा सकते थे। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव गुफा के बाहर बैठकर अंजना देवी के कानों में उपदेश देते थे। इस गुफा के पास स्थित शिवलिंग और तालाब हैं, जिन्हें देखकर इस कहावत के बारे लोगों का विश्वास मजबूत होता है। कहा जाता है कि अंजन धाम का नाम अंजना देवी के नाम पर पड़ा है। यह अपने तरह का एकमात्र ऐसा अनूठा मंदिर है, जहां भगवान हनुमान अपनी मां अंजना देवी की गोद में बैठे दिखाई देते हैं। इस प्रकार झारखंड के आदिवासियों में भगवान हनुमान को लेकर अनेक कहानियां प्रचलित हैं।