गंगटोक
तीरंदाजी का स्वदेशी रूप दत्शा डोको पश्चिम और पूर्वी सिक्किम में आज भी आदिवासी समुदाय के बीच खूब खेला जाता है। सिक्किम और पड़ोसी भूटान की राजशाही द्वारा शुरू किए गए इस अनोखे खेल में तीरंदाज लगभग 130 फीट की दूरी पर निर्धारित अपने लक्ष्य पर आसानी से निशाना साधते हैं। इसके लिए आज के आधुनिक दौर में भी पारंपरिक बांस के बने धनुष का उपयोग किया जाता है।
दत्शा डोको का मतलब ऋणों का निपटारा करना और क्षमा दान को बढ़ावा देना होता है। आदिवासी लोग इस तीरंदाजी खेल को बहुत मानते हैं। इसलिए यह खेल भी बड़ी गंभीरता से खेला जाता है। दत्शा डोको के नियम बड़े स्पष्ट हैं।
इसमें 13 गुणा 30 इंच के लक्ष्य बिंदुओं के लिए लाल, हरे और पीले रंग के गाढ़े छल्ले बने होते हैं। टूर्नामेंट में 20 दौर तक प्रतियोगिता चलती है और इसमें सात-सात खिलाडिय़ों वाली दो टीमें भाग लेती हैं।
इस बेहद रोचक और दिमागी एकाग्रता वाले खेल दत्शा डोको में स्कोरिंग सिस्टम बहुत ही जटिल होता है। इसमें उच्च स्कोर करने वाली टीम के अंकों को विरोधी टीम के अंकों से घटा दिया जाता है
प्रत्येक खिलाड़ी एक राउंड में अपने लक्ष्य पर दो तीर चला सकता है और बोर्ड पर अंकित लक्ष्य पर निशाना साधने पर उसे दो अंक दिए जाते हैं। हालांकि, यदि विरोधी टीम के तीरंदाज ने भी दो ही अंक हासिल कर लिए तो पहले वाले के अंक शून्य हो जाते हैं, जैसे 2+2 माइनस 2+2।
तीरंदाजों को लक्षित रिंग पर निशाना लगाने की स्थिति में तीरंदाज को तीन अंक मिलते हैं। यदि एक टीम बोर्ड पर दो बार निशाना लगाती है और विरोधी टीम एक बार लक्षित रिंग को हिट करती है, तो उसे एक अंक प्राप्त होता है। स्कोर बोर्ड की स्थिति फिर कुछ इस प्रकार बनेगी- 2+3 माइनस 2+2।
यदि कोई तीरंदाज दोनों बार बोर्ड पर निशाना लगाने से चूक जाता है, जबकि उसका प्रतिद्वंद्वी दोनों बार बोर्ड को हिट कर देता है, तो विजेता टीम को पांच अंक मिलते हैं, यानी स्कोर कुछ यूं बनेगा- 2+2 और एक अंक बोनस के रूप में। लेकिन, यदि एक टीम दो बार बोर्ड पर निशाना लगाती है और विरोधी टीम एक बार, तो पहले वाली टीम को तीन अंक मिल जाते हैं। उस स्थिति में स्कोर बोर्ड की स्थिति इस प्रकार बनेगी- 2+2+1 माइनस 2।
बस, यह खेल इसी प्रकार आगे बढ़ता है। तीरंदाज को पूरी एकाग्रता से तीर चलाना होता है। अनोखे स्कोरिंग सिस्टम के कारण इस खेल की रोचकता और बढ़ जाती है। अंत में स्कोर किए गए अंकों की गणना की जाती है। उसी आधार पर विजेता घोषित किया जाता है।