विलक्षण प्रतिभा की धनी हिसी मुर्मू 10 साल की भी नहीं थीं जब से उन्होंने हारमोनियम पर धुन निकालनी शुरू कर दी थी। आज पूरे ओडिशा में वह एकमात्र संथाली महिला संगीत निर्देशक हैं।
राउरकेला स्टील प्लांट में तकनीशियन और लोक कलाकार बुधन मुर्मू ने कम उम्र से ही अपनी बेटी हिसी की प्रतिभा को निखारा। उसी का फल रहा कि महज 15 साल की उम्र में 2002 में हिसी मुर्मू ने राउरकेला में पंडित रघुनाथ मुर्मू जयंती के मौके पर शानदार शो किया।
इसके एक साल बाद हिसी ने गुरु रमेश चंद्र के निर्देशन में संबलपुरी संगीत में अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। उन्होंने रंगबती के लिए प्रसिद्ध पद्मश्री जितेंद्र हरिपाल के साथ मंच साझा किया और संबलपुरी नुआखाई वेटकट के लिए दूरदर्शन, राउरकेला के साथ काम किया।
प्रतिभाशाली 30 वर्षीय मुर्मू ने वर्ष 2017 से अपने खुद के संगीत एल्बम निकालने शुरू कर दिए थे। अब तक वह 25 एल्बम रिलीज कर चुकी हैं।
हालांकि, वर्ष 2004 में मुर्मू के पिता का निधन हो गया और तीन साल बाद उनकी मां भी चल बसीं। परिवार में सबसे बड़ी होने के नाते मुर्मू पर घर की जिम्मेदारी आन पड़ी और रोजी-रोटी चलाने के लिए उन्होंने ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया। इस त्रासदि के बाद भी संगीत के प्रति उनकी लगन कम नहीं हुई। वह कहती हैं कि इस दौरान मेरी हिंदुस्तानी (गायन), पल्ली और चंपू (ओडिसी गायन) की शिक्षा गुरु निरंजन साहू की देखरेख में जारी रही।
धीरे-धीरे वक्त गुजरा और वह संघर्षों से उबरती चली आईं। वर्ष 2007 में उनकी जिंदगी में उस समय नया मोड़ आया, जब मुर्मू को एक व्हाट्सएप वर्कशॉप- पेनेरंग (थ्री कलर्स) में 35 छात्रों के परामर्शदाता के रूप में काम करने के लिए प्रतिष्ठित नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के साथ जुडऩे की पेशकश की गई।
वह बताती हैं कि पेनेरंग में तीन खंड थे। संस्कृत से भगवदज्जुकम का संथाली अनुवाद, हो बोली में चंदा बहा और पंडित रघुनाथ मुर्मू का दीदु चंदन। यह चरणबद्ध तरीके से 2015 तक चलता रहा।
“हिसी इस बात का जीता-जागता उदाहरण हैं कि एक महिला क्या और कितना कुछ हासिल कर सकती है।”
-दीपक बेसरा, प्रसिद्ध संथाली फिल्म निर्देशक
इसके बाद तो मुर्मू को जैसे पर लग गए। उन्होंने वर्ष 2017 में अपने खुद के संगीत एल्बम जारी करना शुरू कर दिए। सिलसिला थमा नहीं, अब तक वह 25 एल्बम निकाल चुकी हैं। उनके ट्रैक रिकॉर्ड से प्रभावित होकर पिंकी प्रोडक्शन ने उन्हें 2019 में संथाली फिल्म कुल कुरी बहा मोनी का गीत और संगीत के लिए चुन लिया।
सफलता की सीढिय़ा चढ़ती जा रही हिसी मुर्मू को लगा कि अब वह राउरकेला से आगे की दुनिया में कदम रखने के लिए तैयार हैं, तो अपने दोनों भाई-बहनों की नौकरी लगने के बाद, वह मयूरभंज के जिला मुख्यालय बारीपदा में शिफ्ट हो गईं। आज भले ही कोविड-19 महामारी ने सब को झकझोर कर रख दिया हो, लेकिन मुर्मू अपने संगीत में गहरे डूबी हैं।
प्रसिद्ध संथाली फिल्म निर्देशक दीपक बेसरा गर्व से कहते हैं, हिसी इस बात का जीता-जागता उदाहरण हैं कि एक महिला क्या और कितना कुछ हासिल कर सकती है।