जोधपुर : उदयपुर के खेरवाड़ा तहसील के गोडवा गांव निवासी गारसिया ने कुछ सपने समेट कर मास्को की उड़ान भरी थी, लेकिन कुछ माह बाद ही उनकी वहां मौत हो गई। अब उनकी पत्नी अपने पति का शव वापस लाने को तड़प रही है। अब राजस्थान उच्च न्यायालय ने मामले में दखल दिया है।
उदयपुर के खेरवाड़ा तहसील के गोडवा गांव निवासी गारसिया एक साल के वर्क वीजा पर इसी साल अप्रैल में रूस गए थे, लेकिन मास्को के एक पार्क में मृत पाए गए। अदालत ने विदेश मंत्रालय को परिवार की हर संभव मदद के निर्देश दिए।
हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह आदिवासी व्यक्ति के पार्थिव शरीर को रूस से वापस लाने के लिए हर संभव कदम उठाए। अदालत ने सहायक सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) से इस मुद्दे को विदेश मंत्रालय के समक्ष उठाने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी।
न्यायमूर्ति दिनेश मेहता ने आशा देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिए। देवी अपने पति हितेंद्र गारसिया का पार्थिव शरीर रूस से वापस लाए जाने का इंतजार कर रही हैं।
पीडि़त परिवार की मदद कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता चरमेश शर्मा ने बताया कि उदयपुर के खेरवाड़ा तहसील के गोडवा गांव निवासी गारसिया एक साल के वर्क वीजा पर इसी साल अप्रैल में रूस गए थे, लेकिन मास्को के एक पार्क में उनका शव मिला। मास्को पुलिस ने इसे दुर्घटना से हुई मौत बताया। पीडि़त परिवार को स्थानीय पुलिस ने 28 अगस्त को घटना की सूचना दी थी। गारसिया का परिवार उनके पार्थिव शरीर को वापस लाने के लिए दर-दर भटक रहा है ताकि घर लाकर उनका अंतिम संस्कार किया जा सके।