गद्दी आदिवासी नीलम देवी के पास शानदार कारोबारी योजना है। दुग्गन प्रखंड विकास परिषद (बीडीसी) के अध्यक्ष के रूप में नीलम देवी कठुआ जिले की बानी तहसील के इस दुर्गम इलाके को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने पर फोकस कर रही हैं
स्थानीय लोगों के मन में नीलम देवी के लिए बहुत अधिक सम्मान है। वह अपने सुदूर गांव में पर्यटन को बढ़ावा देना चाहती हैं।
वह कहती हैं कि प्रकृति ने हमें खूबसूरत नजारे और वादियां दी हैं। यदि हम पर्यटकों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा पाते हैं, तो फिर कोई भी इधर नहीं आएगा।
अधेड़ और कम पढ़ी लिखी नीलम देवी का स्थानीय लोगों के बीच बहुत सम्मान है। उनका मानना है कि जमीनी स्तर पर बदलाव जरूरी है। यहां न केवल पर्यटन को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, बल्कि खाली युवाओं को रोजगार भी दिया जाना चाहिए। नीलम विस्तार से बताती हैं कि उन्होंने इलाके में पर्यटक हट बनाने और बेहतर सडक़ संपर्क सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत अलग-अलग प्रस्ताव भेजे हैं।
वह कहती हैं कि सर्दियों के दौरान यह इलाका दो महीने से अधिक समय के लिए बाहरी दुनिया से पूरी तरह कट जाता है। खुद को जीवित रखने के लिए हमें आवश्यक वस्तुओं का स्टॉक पहले ही करना पड़ता है। सरकार को यहां हर मौसम में काम आने वाली सडक़ें बनाने में हमारी मदद करनी चाहिए, ताकि यह इलाका पूरे साल सक्रिय रह सके और यहां लोगों खासकर पर्यटकों की आवाजाही बनी रहे।
नीलम देवी का मानना है कि जमीनी स्तर पर बदलाव जरूरी है। यहां न केवल पर्यटन को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, बल्कि खाली युवाओं को रोजगार भी दिया जाना चाहिए। नीलम विस्तार से बताती हैं कि उन्होंने इलाके में पर्यटक हट बनाने और बेहतर सडक़ संपर्क सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत अलग-अलग प्रस्ताव भेजे हैं।
नीलम देवी कहती हैं कि वह शासन से मिली रकम का एक-एक पैसा बहुत विवेकपूर्ण तरीके से विकास कार्यों पर खर्च कर रही हैं। नीलम ने इलाके में नालों और अस्पतालों के निर्माण का प्रस्ताव भी शासन को भेजा है।
यह देखते हुए कि वह एक ऐसे समुदाय से आती हैं, जहां अभी तक भी बच्चियों की शिक्षा पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता और कम उम्र में भी उनकी शादी कर दी जाती है। वह खुद दसवीं तक ही पढ़ी हैं, ऐसे में क्षेत्र के विकास के लिए नीलम देवी की महत्वाकांक्षी योजनाएं चौंकाने वाली कही जा सकती हैं।
नीलम के पति मूलराज सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं और नीलम खुद कई वर्षों से समर्पित गृहिणी के रूप में अपने तीन बच्चों का पालन-पोषण कर रही थीं। फिर ग्रामीणों ने ही उन्हें भुल्लारी गांव के सरपंच पद के लिए चुनाव लडऩे को प्रेरित किया। उन्होंने चुनाव लड़ा और जीत गईं। इसके बाद ग्रामीणों ने उन्हें बीडीसी के लिए प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने 150 वोटों के अंतर से वह चुनाव भी जीत लिया और अध्यक्ष बनाई गईं।
वह भावुक होकर कहती हैं कि स्थानीय लोगों ने अपने अधिकारों की लड़ाई लडऩे के लिए मुझ पर भरोसा जताया और इलाके के विकास का काम मुझे सौंपा है। यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। मैं इस अवसर को हाथ से जाने नहीं दे सकती।