बस्तर
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में स्थित शिल्प नगरी या क्राफ्ट सिटी क्षेत्र में स्थित उड़ान संस्था ने क्षेत्र की अनेक महिलाओं का जीवन बदल दिया और उन्हें आत्मविश्वास से भर दिया है। आज ये महिलाएं शान से काम करते हुए अपने परिवार की आय में खासा योगदान दे रही हैं। संस्था दिनोंदिन अपने पैर पसार रही है और अब यह एक कंपनी का रूप ले चुकी है।
इस संस्था में एक विधवा महिला नेमा एक्का भी काम करती हैं, जो 13 किलोमीटर अपने गांव से चलकर यहां आती हैं। 10वीं कक्षा तक पढ़ीं एक्का उड़ान के तिखुर मिल्कशेक सेक्शन में काम करती हैं। यह इस संस्था में बनाया जाने वाला सबसे प्रमुख या मूल उत्पाद है। इस अनुभाग में कार्यरत महिलाएं मिल्कशेक बनाती हैं और इसे बोतलों में भरती हैं।
एक्का ने The Indian Tribal को बताया कि इससे पहले वह किसानों के खेतों में काम करती थीं। मुझे गांव में कार्यरत जीवन ज्योति महिला समूह नामक स्वयं सहायता समूह के माध्यम से उड़ान के प्रोग्राम के बारे में पता चला। इसमें 10 सदस्य हैं और सभी का मुख्य लक्ष्य घर चलाने के साथ-साथ बचत करना है।
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उड़ान संस्था की शुरुआत साल 2020 के आसपास हुई थी। अब इसका स्वरूप बड़ा हो गया है और इसे उड़ान महिला कृषक प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड कहा जाने लगा है। एक्का 2021 में इसके साथ जुड़ी थीं। एक्का के परिवार में कोई काम करने वाला नहीं था। अपने पति और ससुराल वालों के निधन के बाद उन्हें अपने जुड़वा बच्चों की देखभाल के लिए काम की सख्त जरूरत थी, इसलिए वह उड़ान में शामिल हो गईं। उनके बच्चे 10 साल के हैं। एक्का सुबह 9 बजे घर से निकलती हैं और शाम 5.30 बजे तक ही वापस जा पाती हैं।
उड़ान के साथ कार्यरत एक और महिला संतोषी पोयाम पास के गांव की रहने वाली हैं और हर रोज साइकिल से आना-जाना करती हैं। उन्होंने भी हाई स्कूल तक पढ़ाई की है। उनकी अभी शादी नहीं हुई है। वह एक्का के साथ ही उड़ान के साथ जुड़ी थीं। वह नारियल तेल इकाई में काम करती हैं, जहां इसकी पैकिंग होती है।
निदेशक मंडल के एक सदस्य हेमन्तिन नाग ने बताया कि उड़ान संस्था की शुरुआत होने से पहले अनेक महिलाएं घर पर ही रहती थीं। शुरुआत में महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया, उसके बाद यहां काम चालू हो गया। संस्था के साथ जुडक़र काम करने वाली महिलाएं काफी खुश हैं, क्योंकि वे अपने परिवार की आय में योगदान दे रही हैं।
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उड़ान के साथ अब करीब 45 महिलाएं काम करती हैं। संस्था के आठ निदेशकों में से एक कुमारी पटेल बताती हैं कि उड़ान में ज्यादातर महिलाएं आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं। वे कोंडागांव के 10 किमी के दायरे में पडऩे वाले गांवों से आती हैं। कुछ तो 30 किमी दूर के गांवों से भी यहां काम करने आती हैं। उनकी प्रतिदिन की आमदनी 250 से 350 रुपये तक हो जाती है।
उड़ान शुरू करने के पीछे मुख्य अवधारणा कृषि उपज का मूल्यवर्धन है। पहले इसका नाम उड़ान आजीविका केंद्र था। अब, इसे उड़ान महिला कृषक प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के नाम से जाना जाता है, जो लगभग 3000 शेयरधारकों वाला एक कृषि उत्पादक संगठन है।
उड़ान में काम करने वाली महिलाएं अगरबत्ती, मिल्कशेक, नारियल तेल और बाजरा कुकीज जैसे दैनिक उपयोग के अनेक उत्पाद बनाती हैं। ये सभी उत्पाद कोंडानार ब्रांड के नाम से सी-मार्ट नामक दुकान के माध्यम से लोगों को बेचे जाते हैं। यह दुकान पास में ही स्थित है। इस दुकान पर ग्राहकों के लिए अन्य लोकप्रिय उत्पाद भी रखे जाते हैं।
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उड़ान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी देवेंद्र राव कुछ समय पहले ही संस्था के साथ जुड़े हैं। वह कहते हैं कि उड़ान में बनाए जा रहे उत्पादों को अभी छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य बाजारों तक पहुंचाने का लक्ष्य है, फिलहाल निकटतम महानगर कोलकाता में उड़ान के उत्पादों के लिए बाजार तलाश किया जा रहा है।
उड़ान में मिल्कशेक, कुकीज और पूजा सामग्री जैसे नियमित उत्पादों की यूनिट के साथ-साथ एक सुपोषण अथवा पोषण इकाई भी है। दो महिला स्वयं सहायता समूह इस इकाई के साथ जुड़ कर काम कर रहे हैं।
राव कहते हैं कि अभी भी संस्था के सामने सबसे बड़ी चुनौती मार्केटिंग की है। इसलिए वह दैनिक उत्पादन के साथ-साथ मार्केटिंग पर भी नजर रखते हैं। उन्होंने बताया कि महिलाओं को नियमित आधार पर लक्ष्य दिए जाते हैं। राव ने बताया कि काम शुरू करने से पहले महिलाओं को बाकायदा प्रशिक्षण दिया गया। खास यह कि हर सेक्शन के लिए अलग-अलग प्रशिक्षकों ने महिलाओं को काम करने का हुनर सिखाया।