चुआंगा पचुआउ के लिए 1996 शानदार वर्ष रहा। कई अन्य लोगों की तरह उनके गृहनगर की गलियों ने उन्हें क्रिकेट से परिचित कराया। वही क्रिकेट जिसे उन्होंने दिल से खेला और जीवन भर उसके विकास में जुटे रहे।
चुआंगा 1999 से लगातार 12 वर्षों तक मिज़ोरम क्रिकेट संघ के अध्यक्ष रहे। इस दौरान उनके नाम एक के बाद एक उपलब्धियां जुड़ती चली गईं। उन्होंने राज्य में प्रेसिडेंट्स कप जैसे वार्षिक टूर्नामेंट की शुरुआत की और 2010 से इंडियन प्रीमियर लीग ट्वेंटी-20 की तर्ज पर पेशेवर क्रिकेट प्रतियोगिताएं आयोजित कराईं।
चुआंगा के कार्यकाल में ही राज्य क्रिकेट संघ को 25,000 वर्ग मीटर का एक भूखंड मिला, जिसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप क्रिकेट मैदान के रूप में विकसित किया गया। वह याद करते हुए बताते हैं कि उन्होंने परियोजना रिपोर्ट और फंड के मामले में लोक निर्माण विभाग तथा राज्य व केंद्र की सरकारों की मदद की, जिसका फल एक बेहतरीन क्रिकेट मैदान के रूप में देख रहे हैं।
मामला सिर्फ यहीं खत्म नहीं हो जाता। उन्होंने क्रिकेट संघ के सचिव के साथ मिलकर बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड) की संबद्धता के लिए अथक प्रयास किया। नतीजतन 2018 में यह काम भी हो गया।
चुआंगा के अध्यक्ष के तौर पर 12 साल के कार्यकाल के दौरान ही मिजोरम क्रिकेट संघ को 25,000 वर्ग मीटर का भूखंड हासिल हुआ, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के क्रिकेट स्टेडियम के रूप में विकसित किया गया।
चुआंगा कहते हैं कि हालांकि क्रिकेट के साथ उनका पहली नजर में प्यार वाला मामला नहीं था। अपनी युवावस्था में उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर टेबल टेनिस खेला है।
बात वर्ष 1996 की है जब आईज़ौल की सडक़ों पर ड्रग्स सूंघने वाले लडक़ों के जरिए 35 वर्षीय चुआंगा का वास्ता जेंटलमैन लोगों का खेल कहे जाने वाले क्रिकेट से पड़ा। वे युवा सिर्फ नशे के आदी नहीं थे, बल्कि गली क्रिकेट भी उनकी नसों में दौड़ता था। चुआंगा उस समय एक चर्च में युवा सेवादार के रूप में काम कर रहे थे। उस दौरान वे उन लडक़ों को क्रिकेट खेलते हुए देखते थे।
नशे के आदी युवकों की एक वैध शगल में इस कदर रुचि को देखते हुए चुआंगा ने उनके लिए कुछ करने की ठानी और टीवी पर क्रिकेट मैच देख-देख कर इस खेल की बारीकियां सीखीं। इसके बाद उन्होंने स्थानीय क्रिकेट क्लब की स्थापना की, ताकि इन किशोरों को क्रिकेट खेलने में व्यस्त करके इन्हें नशे की दलदल से निकालने में मदद कर सकें। इसके बाद उन्होंने पीछे मुडक़र नहीं देखा।
आज चुआंगा को मिज़ोरम क्रिकेट में उनके अपार योगदान के लिए जाना जाता है।