झारखंड के पलामू में भी शिमला जैसे रसीले सेब उगेंगे। पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर के उपनगरीय क्षेत्र में स्थित जोरकट गांव में करीब 0.75 एकड़ में सेब बागान लगाने का काम 4 जनवरी को शुरू हुआ। पलामू प्रमंडलीय आयुक्त जटाशंकर चौधरी ने चियांकी के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक प्रमोद कुमार के साथ स्थानीय व्यवसायी गोपाल लाल अग्रवाल की खेत में सेब का बाग लगाने की शुरुआत की।
क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र चियांकी के सह निदेशक और मुख्य वैज्ञानिक डॉ डीएन सिंह ने बताया कि सेब उत्पादन के लिए ठंडे मौसम की जरूरत होती है। लेकिन, हिमाचल प्रदेश के वैज्ञानिकों ने सेब के कुछ ऐसे प्रभेद विकसित किए हैं, जो शीतोष्ण क्षेत्र में भी उत्पादित किए जा सकते हैं। ऐसा ही एक प्रभेद है हरमन- 99, जो पलामू के जलवायु के अनुकूल पाया गया।
सबसे पहले क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र चियांकी परिसर में इस प्रभेद के 2 पौधे लगाकर परीक्षण किया गया। जिसके सकारात्मक परिणाम मिलने के बाद, अब इसे किसानों की खेत में लगाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इसमें क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र चियांकी सभी तकनीकी सहयोग दे रहा है।
केंद्र के वैज्ञानिक प्रमोद कुमार बताते हैं कि अब तक यह भ्रम था कि सेब की खेती ठंडे प्रदेशों में ही हो सकती है, लेकिन हरमन- 99 प्रभेद 45 से 49 डिग्री तापमान में भी उगाया सकता है। खास बात यह है कि पलामू के सेब जून माह में पक कर तैयार होंगे, जबकि शिमला और कश्मीर के सेब अगस्त, सितंबर, अक्टूबर में पक कर तैयार होते हैं, जिसके कारण पलामू के सेब को अच्छा बाजार मिलने की संभावना है।
पारंपरिक खेती से किसानों को कम मुनाफा
क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र चियांकी के मुख्य वैज्ञानिक और सह निदेशक डॉ डीएन सिंह का कहना है कि स्थानीय आदिवासी किसानों को पारंपरिक खेती से विशेष लाभ नहीं हो रहा है। इसको देखते हुए उन्हें फलों और सब्जियों की खेती के लिए जागरूक किया जा रहा है। इस दिशा में केंद्र की ओर से कई प्रयास किए गए हैं। पलामू में संतरा, मौसंमी और नींबू के ढाई हजार से अधिक पौधे 10 एकड़ भूमि पर लगाए गए हैं और काफी मात्रा में ये पौधे फल दे रहे हैं। यहां के फलों की मांग बड़े पैमाने पर है। इससे स्थानीय किसानों की आय दोगुनी हुई है। अधिकतर किसानों के पास खुद की जमीन नहीं है, तो वे लीज़ पर जमीन लेकर खेती से मुनाफा कमा रहे हैं।
पलामू प्रमंडलीय आयुक्त जटाशंकर चौधरी ने कहना है कि इस तरह की पहल से अन्य किसान भी सेब का बागान लगाने के लिए प्रेरित होंगे। उन्होंने कहा कि प्राइवेट इन्वेस्टर्स पूंजी निवेश करेंगे, तो पलामू को एग्रीकल्चर हब बनाने का काम आसान हो जाएगा।
शिमला- कश्मीर जैसे ही रसीले सेब होंगे
हरमन- 99 प्रभेद पलामू की जलवायु के लिए उपयुक्त है। इस प्रभेद का पौधा 45 से 49 डिग्री तापमान पर भी फल देते हैं। इसके स्वाद और रंग में कोई अंतर नहीं होता है। वैज्ञानिक प्रमोद कुमार ने बताया कि इस प्रभेद के 100 ग्राफ्टेड पौधे लगाए गए हैं, उनमें फरवरी तक फूल आ जाएंगे और मार्च में फल दिखने लगेंगे। हालांकि, बागान पूरी तरह विकसित होने में दो से ढाई वर्ष का समय लग जाएगा।