व्यापक जांच से पता चला कि पाटिल बहनें कोली जाति से संबंधित थीं, जो कि ओबीसी वर्ग में आती है, न कि एसटी में
सुप्रीम कोर्ट ने पाटिल बहनों, सुचिता और माधुरी, के एक मामले में कठोर दृष्टिकोण अपनाया।
बड़ी बहन सुचिता ने डीवाईसी नाइक मेडिकल कॉलेज में इस आधार पर आरक्षित सीट के लिए आवेदन किया कि वह अनुसूचित जनजाति महादेव कोली से ताल्लुक रखती हैं। हालांकि उनके पास इसे साबित करने के लिए जाति प्रमाण पत्र नहीं था। उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया और अपनी पढ़ाई जारी रखने के संबंध में आदिश पारित करा लिया।
दो साल बाद उनकी बहन माधुरी ने बीडीएस कोर्स में दाखिला लिया। सत्यापन समिति ने जांच के बाद दोनों बहनों के प्रमाणपत्र रद्द कर दिये। व्यापक जांच से पता चला कि पाटिल बहनें कोली जाति से संबंधित थीं, जो कि ओबीसी वर्ग में आती है, न कि एसटी में।
मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। शीर्ष अदालत ने निचली अदालत, प्रशासन और लड़कियों के पिता को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने लड़कियों के पिता पर अपने वंश के बारे में मूर्खतापूर्ण अज्ञानता प्रदर्शित करने की बात लताड़ा। शीर्ष अदालत ने महसूस किया कि सुचिता को उसकी एमबीबीएस की अंतिम वर्ष की परीक्षा में बैठने से रोकने का कोई फायदा नहीं होगा। हालांकि, धोखाधड़ी से प्राप्त की गई महादेव कोली के रूप में सामाजिक स्थिति को रद्द करने के निर्णय को यथावत रखा।
हालांकि, अदालत ने कहा कि सुचिता की बहन माधुरी महादेव कोली के रूप में अपनी सामाजिक स्थिति के साथ पढ़ाई जारी नहीं रख सकती हैं।
महादेव कोली जाति के लिए मिलने वाली रियायतों का फायदा भी उन्हें नहीं मिलेगा। वह एक सामान्य उम्मीदवार के तौर पर प्रवेश पाने के योग्य हैं। माधुरी उस समय बीडीएस के दूसरे वर्ष की पढ़ाई कर रही थीं।