• About
  • Contact
  • Sitemap
  • Gallery
No Result
View All Result
Vacancies
Tuesday, November 11, 2025
The Indian Tribal
  • Home
  • Achievers
    • उपलब्धिकर्ता
  • Cuisine
    • खान पान
  • Health
    • स्वास्थ्य
  • Legal
    • कानूनी
  • Music
    • संगीत
  • News
    • Updates
    • खबरें
  • Sports
    • खेलकूद
  • Variety
    • विविध
  • हिंदी
    • All
    • आदिवासी
    • उपलब्धिकर्ता
    • कला और संस्कृति
    • कानूनी
    • खबरें
    • खान पान
    • खेलकूद
    • जनजाति
    • भारत
    • विविध
    • संगीत
    • संस्कृति
    • स्वास्थ्य
    The Indian Tribal

    झारखण्ड में JEE-NEET की निःशुल्क कोचिंग: जानिये कब तक कर सकते हैं आवेदन?

    The Indian Tribal

    पीवीटीजी क्षेत्रों में हाउसहोल्ड सैचुरेशन पर नीति आयोग का फोकस

    The Indian Tribal

    धर्म से हमें सामाजिक व्यवस्था को बेहतर बनाने की ताकत मिलती है: हेमन्त सोरेन

    The Indian Tribal

    इस आदिवासी समुदाय ने हाथी गलियारों को बना दिया सफल ईको-टूरिज्म उद्यम

    The Indian Tribal

    ओडिशा के आदिवासी किसान जीआई टैग वाली कंधमाल हल्दी क्यों छोड़ रहे हैं?

    The Indian Tribal

    किस हाल में हैं छत्तीसगढ़ से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना पहुँचे हजारों आदिवासी?

    The Indian Tribal

    प्रथम धरती आबा जनजातीय फिल्म महोत्सव शुरू

    The Indian Tribal

    क्या यह प्राचीन, अद्भुत आदिवासी खेल आधुनिक रग्बी की जड़ है?

  • Gallery
    • Videos
  • Latest News
The Indian Tribal
  • Home
  • Achievers
    • उपलब्धिकर्ता
  • Cuisine
    • खान पान
  • Health
    • स्वास्थ्य
  • Legal
    • कानूनी
  • Music
    • संगीत
  • News
    • Updates
    • खबरें
  • Sports
    • खेलकूद
  • Variety
    • विविध
  • हिंदी
    • All
    • आदिवासी
    • उपलब्धिकर्ता
    • कला और संस्कृति
    • कानूनी
    • खबरें
    • खान पान
    • खेलकूद
    • जनजाति
    • भारत
    • विविध
    • संगीत
    • संस्कृति
    • स्वास्थ्य
    The Indian Tribal

    झारखण्ड में JEE-NEET की निःशुल्क कोचिंग: जानिये कब तक कर सकते हैं आवेदन?

    The Indian Tribal

    पीवीटीजी क्षेत्रों में हाउसहोल्ड सैचुरेशन पर नीति आयोग का फोकस

    The Indian Tribal

    धर्म से हमें सामाजिक व्यवस्था को बेहतर बनाने की ताकत मिलती है: हेमन्त सोरेन

    The Indian Tribal

    इस आदिवासी समुदाय ने हाथी गलियारों को बना दिया सफल ईको-टूरिज्म उद्यम

    The Indian Tribal

    ओडिशा के आदिवासी किसान जीआई टैग वाली कंधमाल हल्दी क्यों छोड़ रहे हैं?

    The Indian Tribal

    किस हाल में हैं छत्तीसगढ़ से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना पहुँचे हजारों आदिवासी?

    The Indian Tribal

    प्रथम धरती आबा जनजातीय फिल्म महोत्सव शुरू

    The Indian Tribal

    क्या यह प्राचीन, अद्भुत आदिवासी खेल आधुनिक रग्बी की जड़ है?

  • Gallery
    • Videos
  • Latest News
No Result
View All Result
The Indian Tribal
No Result
View All Result
  • Home
  • Achievers
  • Cuisine
  • Health
  • Legal
  • Music
  • News
  • Sports
  • Variety
  • हिंदी
  • Gallery
  • Latest News
Vacancies
Home » द इंडियन ट्राइबल / हिंदी » विविध » अलसी उत्पादन का हब बना कोरापुट

अलसी उत्पादन का हब बना कोरापुट

उच्च पोषण, औषधीय और व्यावसायिक दृष्टि से बहुमूल्य अलसी ओडिशा के हजारों आदिवासी किसानों की आजीविका का सहारा बन गई है। सरकार जिस तरह बाजरा मिशन के तहत बाजरे की खेती को बढ़ावा दे रही है, यदि उसी प्रकार अलसी पर भी ध्यान दे तो यहां के किसानों की किस्मत बदल जाए। निरोज रंजन मिश्र की रिपोर्ट

February 12, 2024
अलसी की फसल

अलसी की फसल

भुवनेश्वर

ओडिशा के कोरापुट जिले के डुम्ब्रीगुडा गांव के गदाबा आदिवासी किसान हरि तातापडिय़ा (35) अपनी झोपड़ी के पिछले वाले हिस्से में पांच बैलों की जोड़ी से दायें (बंगाला) जोडक़र अलसी की सूखी फसल को पारंपरिक तरीके से थ्रैसिंग कर रहे हैं। वह जूट की मोटी रस्सी से बंधे अपने पांचों बैलों पर जोर-जोर से चिल्लाकर उन्हें तेज चलने का संकेत दे रहे हैं। बैल बिना रुके लगातार चल रहे हैं। इस तरह बैलों के पंजों का दबाव पडऩे से फसल के डंठल में लगे फल से अलसी के बीज जिन्हें अलसी ही कहा जाता है, झर-झर निकल रहे हैं।

जब फसल पूरी तरह मसली जाएगी या थ्रैस हो जाएगी तो हरि प्राकृतिक हवा अथवा बिजली के पंखों के सामने छाज के माध्यम से इसे उड़ाएंगे और इस तरह हवा के दबाव से डंठल और पत्तों का कबाड़ उड़ कर आगे चला जाएगा और बीज वहीं गिर कर अलग हो जाएंगे। इस तरह पूरी फसल साफ हो जाएगी जिसे हरि तातापडिय़ा लगभग 60 रुपये प्रति किलो के हिसाब से व्यापारी को बेच देंगे। इसमें से कुछ हिस्सा वह अपने इस्तेमाल यानी इसमें से तेल निकालने के लिए और कुछ किलो अगले साल बोने के लिए घर में रख लेंगे।

हरि कहते हैं, ‘हमारे गांव डुम्ब्रीगुडा में लगभग 35 घर हैं, जिनमें से आठ किसान लगभग 15 एकड़ में अलसी की खेती करते हैं। वह स्वयं भी 1.5 एकड़ में अलसी बोते हैं। इससे उन्हें हर साल लगभग 20,000 रुपये की आमदनी होती है। वह ढाई एकड़ में धान और बाजरा भी उगाते हैं, जिससे उन्हें लगभग 30,000 रुपये की आय हो जाती है। इस तरह वह वार्षिक स्तर पर 50,000 रुपये कमा लेते हैं।’

कोरापुट किसान संघ (केएफए) के सचिव शरत कुमार पटनायक के अनुसार, ‘लक्ष्मीपुर, पोट्टांगी, कोरापुट, कोरापुट, नारायणपटना, सेमिलिगुडा और कोरापुट के नंदपुर जैसे ब्लॉकों के अंतर्गत आने वाले 500 से अधिक गांवों में परजा, कोंध, गदाबा, भूमिया समेत कई अन्य जनजातियों के 6000 से अधिक किसान लगभग 8000 हेक्टेयर भूमि में अलसी की खेती करते हैं।’ 

पटनायक कहते हैं, ‘अलसी अगस्त-सितंबर में उस समय बोई जाती है जब बरसात का उतार होता है और नवंबर-दिसंबर में जाड़ों की शुरुआत में फसल तैयार हो जाती है। अत्यधिक गर्मी या बरसात के सीजन में इसे नहीं उगाया जा सकता।’ उन्होंने कहा, ‘अलसी की फसल उगाने के लिए उपयुक्त तापमान 10 सेल्सियस से 30 सेल्सियस के बीच होना चाहिए, जबकि वार्षिक वर्षा 700 मिमी से 750 मिमी के बीच होनी चाहिए।’

Tribal Farmers
अलसी के बीज की किस्में

ओडिशा के अलसी हब के रूप में विख्यात हो चुके कोरापुट जिले के किसान अलसी की कई स्वदेशी किस्में बोते हैं। इनमें कई तो ऐसी हैं, जिन्हें अभी भी पहचानना, सूचीबद्ध और नामांकित किया जाना बाकी है। हालांकि, जिले के सुनाबेड़ा कस्बे में ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूओ) के जैव विविधता और प्राकृतिक विज्ञान विभाग (डीबीएनएस) ने अलसी की 30 स्वदेशी किस्मों को एकत्र किया है, जो एस्टेरसिया परिवार से संबंधित हैं।

डीबीएसएन के सहायक प्रोफेसर डॉ. देवब्रत पांडा कहते हैं, ‘सन 2020 में शुरू हुए हमारे अध्ययन के दौरान हमने अब तक 120 से अधिक किसानों से बातचीत कर अलसी की 30 स्वदेशी किस्मों की पहचान की है। हालांकि, अभी कुछ और किस्में भी हो सकती हैं, जिन्हें हम अपने शोध के लिए ढूंढने का प्रयास करेंगे। 

भुवनेश्वर स्थित ओडिशा कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (ओयूएटी) ने दो और उन्नत किस्में जारी की हैं। ओयूएटी की उन्नत किस्में देवमाली और उत्कल नाइजर क्रमश: 1992 और 2008 के आसपास जारी की गई थीं।

ओयूएटी के अखिल भारतीय समन्वित नाइजर अनुसंधान परियोजना, सुनाबेडा के प्रभारी अधिकारी, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुमंत साहू ने कहा, ‘ओयूएटी की ओर से जारी की जाने वाली तीसरी उन्नत किस्म अभी प्रस्तावित चरण में है। हम जल्द ही इस बारे में कुछ खुलासा करेंगे।’ 

डॉ. देवब्रत पांडा ने कहा, ‘अलसी फाइबर, ओमेगा-3 फैटी एसिड, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन केआई, विटामिन सी, एंटीऑक्सिडेंट मैग्नीशियम, पोटेशियम, जस्ता और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होती है। मंगरडोरा, गंजीपदर और कोलाबनगर जैसी स्वदेशी किस्में फ्लेवोनोइड,  विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट क्षमता से भरपूर हैं। पोषण की दृष्टि से ये बेहद उन्नत किस्में हैं।’

Tribal Farmers
अलसी के फूल खिले हुए

कोरापुट के सेमिलिगुडा में ओयूएटी के रीजनल रिसर्च ट्रांसफर स्टेशन के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. परसुराम सियाल ने कहा, ‘अलसी हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर के खतरे को कम करती है। इसके सेवन से खराब कोलेस्ट्रॉल भी नियंत्रित हो जाता है।’

डीबीएसएन के अध्ययन के अनुसार, अलसी की कई स्वदेशी किस्मों में वसा की मात्रा बहुत अधिक होती है। डॉ. पांडा ने बताया कि सकुरबंदा और सैतीपदर जैसी देशी किस्मों में वसा की मात्रा उनके संबंधित वजन का लगभग 41 और 42 प्रतिशत तक होती है, जबकि देवमाली और उत्कल नाइजर में वसा की मात्रा क्रमश: 30 और 31 प्रतिशत होती है।

कोरापुट ब्लॉक के अंतर्गत कोलाब नगर गांव के किसान केशब जही ने कहा, ‘अलसी का तेल 300 से 400 रुपये प्रति लीटर बिकता है, जबकि इसकी खली या पिडिया 30 से 40 रुपये प्रति किलोग्राम बिक जाती है।’ खली का उपयोग पक्षियों और मवेशियों के चारे के रूप में भी किया जाता है।

केएफए सचिव शरत के अनुसार, अलसी के पोषण, औषधीय और व्यावसायिक गुणों को देखते हुए सरकार को इसकी खेती और मार्केटिंग पर ध्यान देना चाहिए, जैसा कि वह अपने बाजरा मिशन के तहत बाजरे की फसल के लिए करती है। शरत ने कहा, ‘हमने कई बार अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति विकास और पिछड़ा वर्ग विभाग की एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसी (आईटीडीए), मिशन शक्ति विभाग के ओडिशा आजीविका मिशन (ओएलएम), और पंचायती राज विभाग के ओडिशा ग्रामीण विकास विपणन सोसायटी (ओआरएमएएस) से इस संबंध में कदम उठाने का अनुरोध किया, लेकिन अभी तक स्पष्ट रूप से कुछ नहीं किया गया है।’

अलसी उत्पादन
अलसी उत्पादन

आईटीडीए, कोरापुट के परियोजना प्रशासक सौम्य सार्थक मिश्र और ओएलएम, कोरापुट के परियोजना प्रबंधक प्रियंबदा बिसोई ने यह स्वीकार किया कि उनकी संस्थाओं के पास अभी तक अलसी की खेती को बढ़ावा देने और इसकी मार्केटिंग के लिए कोई योजना नहीं है। हालांकि, ओआरएमएएस, कोरापुट के उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी, रोशन कार्तिक ने यह जरूर बताया कि उनके संगठन की स्वयं सहायता समूहों के सहयोग से इस वर्ष अलसी के लड्डू और तेल तैयार करने की योजना है।

कार्तिक ने कहा, ‘हमने कृषि-ऊष्मायन केंद्र स्थापित करने के लिए मार्चिमल के पास लगभग पांच एकड़ जमीन ली है। इस केंद्र में न केवल अलसी के लड्डू और तेल, बल्कि हल्दी पाउडर और साबुन जैसी दैनिक उपयोग की चीजें बनाई जाएंगी। यह संयंत्र ग्रेडिंग, पैकेजिंग और तेल निकालने वाली मशीनों से सुसज्जित होगा। इसके लिए कुल बजट लागत 1.5 करोड़ रुपये में से करीब 20 लाख रुपये अलग रखे गए हैं।’ 

ओआरएमएएस की योजना अभी पाइपलाइन में ही है, लेकिन इससे पहले ही कोरापुट के जेयपोर शहर में स्टार्ट-अप जगन्नाथ मिलेट हब (जेएमएच) ने पहले ही अलसी के लड्डू, केक और कुकीज जैसी चीजें बनाना शुरू कर दिया है। जेएमएच अभी प्रयोग के तौर पर ही काम कर रहा है।जेएमएच के निदेशक जगन्नाथ चिनरी ने कहा, ‘पिछले साल हमने प्रयोग के तौर पर ही लाल रंग की अलसी से पांच किलो लड्डू और तीन किलो कुकीज तैयार की थीं। इन्हें बाजार में 400 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा गया। इसी से उत्साहित होकर हमने इन उत्पादों का व्यवसाय आगे बढ़ाना शुरू किया किया है। इसके अलावा, हम अलसी का तेल भी निकालेंगे।

Root Woot | Online Puja Samagri Root Woot | Online Puja Samagri Root Woot | Online Puja Samagri

In Numbers

49.4 %
Female Literacy rate of Scheduled Tribes

Web Stories

Bastar’s Famed Tuma Craft On Verge Of Extinction
Bastar’s Famed Tuma Craft On Verge Of Extinction
By The Indian Tribal
7 Tribal-linked Odisha Products Get GI Tag
7 Tribal-linked Odisha Products Get GI Tag
By The Indian Tribal
Traditional Attire Of Pawara Tribeswomen Losing Its Charm
Traditional Attire Of Pawara Tribeswomen Losing Its Charm
By The Indian Tribal
Tuma Art Going Extinct
Tuma Art Going Extinct
By The Indian Tribal

Update

Tribal schools in Andhra Pradesh to get a leg up

The N. Chandrababu Naidu government has sanctioned Rs 113 crore for basic facilities in 757 tribal schools across nine Integrated Tribal Development Agencies (ITDA). Giving details to media persons, Tribal Welfare and Women & Child Development Minister Gummidi Sandhya Rani on Tuesday said, “Last year, we spent Rs 155 crore. This year, we are adding another Rs 113 crore to give RO plants, washrooms, and other amenities in every school. While Rs 83 crore will go to 558 Ashram schools, Rs 30 crore will be granted to 199 Gurukulams.” As many as 2,012 new toilets have been already approved through Swachh Andhra Corporation, and work is on, she said adding following the Chief Minister’s orders, pre-paid and coin phones will be installed in all hostels so children can speak to parents daily. She maintained that every tribal school now has regular teachers as the DSC has filled over 16,000 posts even as all the 1,100 contract teachers have been retained. This apart, 150 meritorious students will receive free coaching for IIT, NIT, and NEET at centres in Parvathipuram and Seethampeta. A third centre will open soon in Visakhapatnam. Also, 5,000 mini anganwadis have been converted into main centres with one teacher and one helper each.
The Indian Tribal
आदिवासी

धर्म से हमें सामाजिक व्यवस्था को बेहतर बनाने की ताकत मिलती है: हेमन्त सोरेन

by The Indian Tribal
November 5, 2025

तीन दिवसीय लुगूबुरु, घांटाबाड़ी, धोरोम गाढ़ राजकीय महोत्सव-2025 का आज भव्य समापन हुआ। हज़ारों हज़ार की संख्या में लोगों ने संताल आदिवासियों के सबसे बड़े तीर्थ स्थल पर पूजा-अर्चना की। दिशोम गुरु शिबू सोरेन की प्रतिमा लुगूबुरु में स्थापित की जाएगी। The Indian Tribal की रिपोर्ट

The Indian Tribal

Luguburu Ghantabari: Santhal Pilgrimage That Grew Into A State Festival

November 4, 2025
The Indian Tribal

Shaheed Veer Narayan Singh: The First Freedom Fighter of Chhattisgarh

November 2, 2025
The Indian Tribal

Chhattisgarh’s Transformation In 25 Years Remarkable And Inspiring : PM Modi

November 1, 2025
The Indian Tribal

इस आदिवासी समुदाय ने हाथी गलियारों को बना दिया सफल ईको-टूरिज्म उद्यम

October 24, 2025
The Indian Tribal

ओडिशा के आदिवासी किसान जीआई टैग वाली कंधमाल हल्दी क्यों छोड़ रहे हैं?

October 22, 2025
Tags: OdishaThe Indian Tribal
Previous Post

Modi Exhorts Tribals To Ensure BJP Bags 370 Lok Sabha Seats

Next Post

Tribal Teenager From Odisha Making A Mark In India’s Martial Arts Circuit

Top Stories

The Indian Tribal
आदिवासी

झारखण्ड में JEE-NEET की निःशुल्क कोचिंग: जानिये कब तक कर सकते हैं आवेदन?

November 10, 2025
International Day of The World’s Indigenous Peoples | The Indian Tribal
Adivasi

Jharkhand Gears Up For 25 Years Of Statehood And Birsa Munda’s 150th Anniv With Tribal-Centric Gala

November 8, 2025
The Indian Tribal
आदिवासी

पीवीटीजी क्षेत्रों में हाउसहोल्ड सैचुरेशन पर नीति आयोग का फोकस

November 7, 2025
Load More
  • About Us
  • Contact
  • Team
  • Redressal
  • Copyright Policy
  • Privacy Policy And Terms Of Use
  • Disclaimer
  • Sitemap

  • Achievers
  • Cuisine
  • Health
  • Hindi Featured
  • India
  • News
  • Legal
  • Music
  • Sports
  • Trending
  • Chhattisgarh
  • Delhi
  • Gujarat
  • Jammu & Kashmir
  • Jharkhand
  • Kerala
  • Madhya Pradesh
  • Maharashtra
  • North East
  • Arunachal Pradesh
  • Assam
  • Manipur
  • Meghalaya
  • Mizoram
  • Nagaland
  • Sikkim
  • Tripura
  • Odisha
  • Telangana
  • West Bengal
  • Political News
  • Variety
  • Art & Culture
  • Entertainment
  • Adivasi
  • Tribal News
  • Scheduled Tribes
  • हिंदी
  • उपलब्धिकर्ता
  • कानूनी
  • खान पान
  • खेलकूद
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • संगीत
  • विविध
  • कला और संस्कृति
  • खबरें
  • असम की ताज़ा ख़बरें
  • अरुणाचल प्रदेश की ताज़ा ख़बरें
  • ओडिशा की ताज़ा ख़बरें
  • केरल की ताज़ा ख़बरें
  • गुजरात की ताज़ा ख़बरें
  • छत्तीसगढ़
  • जम्मू और कश्मीर की ताज़ा ख़बरें
  • झारखंड न्यूज़
  • तेलंगाना की ताज़ा ख़बरें
  • दिल्ली
  • नॉर्थईस्ट की ताज़ा ख़बरें
  • पश्चिम बंगाल की ताज़ा ख़बरें
  • मध्य प्रदेश की ताज़ा ख़बरें
  • महाराष्ट्र की ताज़ा ख़बरें
  • त्रिपुरा की ताज़ा ख़बरें
  • नागालैंड की ताज़ा ख़बरें
  • मणिपुर की ताज़ा ख़बरें
  • मिजोरम की ताज़ा ख़बरें
  • मेघालय की ताज़ा ख़बरें
  • सिक्किम की ताज़ा ख़बरें
  • राजस्थान की ताज़ा ख़बरें

About Us

The Indian Tribal is India’s first bilingual (English & Hindi) digital journalistic venture dedicated exclusively to the Scheduled Tribes. The ambitious, game-changer initiative is brought to you by Madtri Ventures Pvt Ltd (www.madtri.com). From the North East to Gujarat, from Kerala to Jammu and Kashmir — our seasoned journalists bring to the fore life stories from the backyards of the tribal, indigenous communities comprising 10.45 crore members and constituting 8.6 percent of India’s population as per Census 2011. Unsung Adivasi achievers, their lip-smacking cuisines, ancient medicinal systems, centuries-old unique games and sports, ageless arts and crafts, timeless music and traditional musical instruments, we cover the Scheduled Tribes community like never-before, of course, without losing sight of the ailments, shortcomings and negatives like domestic abuse, alcoholism and malnourishment among others plaguing them. Know the unknown, lesser-known tribal life as we bring reader-engaging stories of Adivasis of India.

Follow Us

All Rights Reserved

© 2024 Madtri Ventures [P] Ltd.

No Result
View All Result
  • Home
  • Achievers
  • Cuisine
  • Health
  • Health
  • Legal
  • Music
  • News
  • Sports
  • Variety
  • हिंदी
    • उपलब्धिकर्ता
    • खान पान
    • कानूनी
    • खेलकूद
    • खेलकूद
    • संगीत
    • संगीत
    • स्वास्थ्य
    • स्वास्थ्य
    • विविध
  • Gallery
  • Videos

© 2024 Madtri Ventures [P] Ltd.

Bastar’s Famed Tuma Craft On Verge Of Extinction 7 Tribal-linked Odisha Products Get GI Tag Traditional Attire Of Pawara Tribeswomen Losing Its Charm Tuma Art Going Extinct