मोकलान नामचूम ने अपना जीवन फुटबॉल जैसे खूबसूरत खेल को समर्पित कर दिया है। लंदन में नामचीन आर्सेनल के साथ समय बिताने के बाद वापस आकर अरुणाचल प्रदेश के नामसाई जिले में स्थित अपने गृहनगर में 34 वर्षीय मोकलान प्रशिक्षण के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के नए तरीकों के बारे में सोचते हुए खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। वह दृढ़ता के साथ कहते हैं- मेरा मानना है कि मैं जिन खिलाडिय़ों को कोचिंग दे रहा हूं, वे इतने योग्य हो जाएं कि किसी भी देश में शीर्ष डिवीजन टीमों या लीग में खेल सकें।
मोकलान एक ऐसा संस्थान विकसित कर रहे हैं, जहां वे स्थानीय खिलाडिय़ों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप प्रशिक्षण दे सकें। पुणे स्थित अभिजीत कदम फुटबॉल डवलपमेंट सेंटर से कोचिंग का कोर्स करने के बाद वह कोचिंग में एक और डिप्लोमा लेने के लिए ब्रिटेन चले गए।
वह विस्तार से बताते हैं कि योजना और उसके क्रियान्वयन पर ध्यान केंद्रित करना, मैदान के अंदर और बाहर खिलाड़ी के स्वास्थ्य और सुरक्षा के साथ-साथ प्रमुख तकनीकी जानकारी होना फुटबॉल कोचिंग के महत्वपूर्ण पहलू हैं। वह कहते हैं कि आज जब मैं खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण दे रहा होता हूं तो पूरी कोशिश होती है कि अपना पूरा पेशेवर ज्ञान उन तक पहुंचा सकूं।
मोकलान लगातार अपने फुटबॉल कौशल को निखारते रहे हैं। स्कूल, कॉलेज और जिला स्तर के अनेक फुटबॉल टूर्नामेंट में विजेता टीम के खिलाड़ी के रूप में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने के बाद मोकलान ने कोचिंग में कदम रखा है।
वर्ष 2010 में उन्होंने पुणे स्थित अभिजीत कदम फुटबॉल डवलपमेंट सेंटर से कोचिंग का कोर्स किया और फिर कोचिंग लाइसेंस हासिल कर लिया। इसके बाद मोकलन कोचिंग में एक और डिप्लोमा लेने के लिए ब्रिटेन चले गए। उन्होंने तीन साल वहां बिताए। इस दौरान इंग्लिश प्रीमियर लीग के तीन बार चैंपियन प्रतिष्ठित आर्सेनल फुटबॉल क्लब के साथ भी काम किया। अब वह अरुणाचल प्रदेश वापस आ चुके हैं। मोकलान नामचूम को उम्मीद है कि राज्य में एक दिन उनकी मेहनत रंग लाएगी।